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Tuesday, March 16, 2010

jai maataa di

नवसंवत्सर [२०६७]+नवरात्र[प्रक्रति रूपेणमाँशैलपुत्री]++घटस्थापन+++गुडीपड़वा++++आर्यासमाजस्थापना+++++उगाड़ी++++++चेटीचाँद की सभी को बधाई

आज माँ शैल पुत्री की अराधना का दिन है
आज प्रक्रति रूपेण माँ की पूजा के लिए फूलों और इनसे बनी मालाओं का विशेष महत्त्व है
अराधना के लिए फूल+ फल ++पत्ते जैसे भी उगते हैं उन्हें वैसे ही चडाना चाहिए मगर इस भौतिक वादी युग में हरेभरेजंगल खेत++बाग़+++कोठियां समाप्त करके कंक्रीट के जंगलबनाए जा रहे हैं
इसीलिए फूलों को खरीदना पड़ता है
माली भी बेचारा मंदी पर निर्भर है
सो जैसा मिला लाकर माला [फूलों]बना कर[भक्तो को] बेचता है
बेशक ऐसी मालाओं में करंसी नोट नहीं होते इन्हें पहनाए जाने पर बवाल नहीं होता
बल्कि भक्तों को घर बैठे ही माला मिल जाती है और माली को दो +चार पैसे मिल जाते हैं
माली को इन फूल मालाओं को बेचने के लिए किसी मेनेजमेंट गुरु की जरूरत भी नहीं होती
मेरठ जैसे शहर में १० रुपे की आड़त +१०० रुपे दे कर ४ किलो की एक गड्डी ला कर ७५ मालाएं बना कर उन्हें सारे दिन में २२५ रुपे तक में बेच लेता है और जय माता की कहता जाता है