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Wednesday, February 29, 2012

उपेक्षा के खात्मे को अब चुनाव आयोग +निर्वाचन अधिकारी +सम्बन्धित विभागाध्यक्ष को मिल बैठ कर विचार करने को समय निकालना होगा ।

  चुनावी तनाव झेल कर लौटे कर्मी विशेषकर केंद्र सरकार के कर्मी स्वयम को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।चुनावी तनाव झेल कर लौटे कर्मी विशेषकर केंद्र सरकार के कर्मी स्वयम को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
      उत्तर प्रदेश की विधान सभा के लिए कराये जा रहे चुनावों के छह चरण निर्विघ्न पूर्ण हो चुके हैं और अब शेष चरण  भी पूर्णता ग्रहण करने जा रहे हैं।इन चुनावों की सफलता का सेहरा बेशक चुनाव आयोग अपने सर पर बाँध कर खुश होता रहे मगर चुनावों को सफलता से पूर्ण कराने में सरकारी कर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी   चुनावी तनाव झेल कर लौटे कर्मी विशेषकर केंद्र सरकार के कर्मी स्वयम को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। चुनावी तनाव झेल कर लौटे कर्मी विशेषकर केंद्र सरकार के कर्मी स्वयम को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
         सबसे पहले तो पद की  वरीयता +गरिमा  की उपेक्षा करके ड्यूटी लगाई गई अपमान का घूँट पे कर ड्यूटी करने को मजबूर ये चुनाव अधिकारी जब दिएर रात घर लौटे तो उन्हें  चुनाव के तुरंत बाद का अवकाश [घोषणा के बावजूद]नहीं  दिया गया।यहाँ तक की रक्षा लेखा नियंत्रक सेना में तो घरों से फोन करके  सभी कर्मियों को बुलवाया गया \बैंक जैसे संगठित संस्थाओं में जहां अवकाश का माहौल रहा वहीं सी डी ए में मन मार कर व्यवस्था को कोसते हुए काम करते कर्मे देखे गए।
      हद तो तब हो गई जब महीने की आखरी तारीख को बांटी जाने वाली तनख्वाह बांटी  ही नहीं  गई \
   प्रत्येक चुनावों के बाद इस प्रकार की उपेक्षा के खात्मे को अब चुनाव आयोग +निर्वाचन अधिकारी +सम्बन्धित विभागाध्यक्ष को मिल बैठ कर विचार करने को समय निकालना होगा ।

Monday, February 27, 2012

जननी +बेस्ट हाफ +अर्धांगिनी या आधी आबादी कहे जाने के बावजूद भी आज सत्ता में अपने जायज़ हक़ के लिए सत्ता के मौजूदा ठेकेदारों के रहमो करम पर ही टिकी हैं

 सत्ता में महिलाओं  को भागेदारी  देने के लिए गला फाड़ कर नारे लगाने वाले आज महिलाओं को टिकट देने से कतरा रहे हैं ।जननी +बेस्ट हाफ +अर्धांगिनी  या आधी आबादी कहे जाने के बावजूद भी आज  सत्ता में अपने जायज़ हक़ के लिए सत्ता के मौजूदा ठेकेदारों के रहमो करम  पर ही टिकी हैं।हाँ ये दीगर बात है की करोड़ पतियों की ११०३ की फौज में  १०%दागी प्रतियाशिओं पर भरोसा जताया गया है।
     उत्तर प्रदेश की विधान सभा के लिए कल[आज]६ठा चरण पूर्ण होगा इसमें ६८ सीटों के लिए २११८६४८९ [इनमे से ९३९२०९५ महिला] मतदाता ११०३ प्रतियशिओ में से अपने  प्रतिनिधि  चुनेंगें ।
    मुख्य ५ दलों ने   महज़ १० महिलाओं परही भरोसा जताया है।
    बसपा की मुख्य मंत्री एक शक्त महिला हैं और भाजपा की कमान उमा भारती जैसी फायर ब्रांड नेता होने के बावजूद इन्होने केवल  ६८ में से तीन  तीन टिकट ही महिलाओं को दिए  हैं। कांग्रेस  की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी एक महिला  सशक्ति करण की पक्षधर रही  है  बेशक यह एतिहासिक पार्टी केवल ३२ सीटों तक ही सीमित है मगर इनके बेड़े में एक भी महिला नहीं है  सपा  और रालोद ने आश्चर्यनजक रूप से क्रमश तीन और एक सीट पर महिलाओं को उतारा है।अपने लिए जमीन तलाशती जेडीयू और पीस पार्टी  ने क्रमश एक और तीन सीटों पर महिलाये उतारी हैं।
 इसके अलावा मेरठ की  सात सीटों के लिए  साड़े इक्कीस लाख मतदाता अपनी पसंद को  ई.वी,एम्. में बंद करेंगे।
    इनमे से  लगभग साड़े नौ लाख महिलायें भी अपनी पसंद का इज़हार करेंगी।
 इस अवसर पर अपना भाग्य आज़मा रहे ११८  प्रतियाशिओं में से केवल सात महिलायें ही चुनावी मैदान में हैं।
    इस छेत्र में चार मुख्य राजनितिक दल हैं इन्होने एक भी महिला को टिकट नहीं दिया है।
    सिवाल ख़ास में दो सरधना में तीन हस्तिनापुर  और कैंट में  केवल एक एक महिला ही  पुरुषों के इस मैदान में अपना भाग्य आजमा रही हैं।ये सभी निर्दलीय हैं और केवल चुनाव ही लड़ रही हैं।और यह किसी भी दशा में उचित प्रतिनिधित्व नहीं कहा जा सकता।
   अपराध और भ्रस्ताचार के विरुद्ध लगातार ताल ठोंकने वाले दलों नेकरोड़पतियों पर ही दावं लगाया है और तो और   लगभग १०%दागी प्रत्याशी मैदान में उतारने से गुरेज़ नहीं कियाहै ।
बसपा ने ६८ में से  २०  सपा ने ३१ भाजपा ने ३० कांग्रेस के ३५ में से १६ और जे.डी यूं.के ३४ में से १० किसी भी सूरत में गले के नीचे नहीं उतर रहे
 
 
     

Wednesday, February 22, 2012

चुनावों में ऐसी खबरों से चुनावी नुकसान कम से कम हो

आज अखबारों में एक खबर छपी है कि
 दिल्ली पोलिस की  अपराध शाखा ने पाकिस्तान के जासूस कामरान अकबर को दिल्ली के रेलवे स्टेशन से रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया |
इस खबर से यह तो साबित हो गया कि दिल्ली पोलिस दिली मुबारक बाद की लगातार +जोरदार= हकदार है मगर फिर ख्याल आता है की यूं.पी. में चुनाव चल रहे हैं ऐसे में मध्यप्रदेश से तड़ीपार होकर आये और यूं.पी. में बने बैठे कांग्रेसी अवतार जनाब दिगविजय सिंह की राय का इंतज़ार कर लिया जाता|क्या पता उन्हें इस विषय में कोई नई जानकारी हो जिसके उगले से यूं.पी. चुनावी फ़ायदा पार्टी को मिल सकता चुनावों में वोट बैंक का ख्याल तो रखना ही पड़ता है।यह भी देखना पड़ता है कि चुनावों में   ऐसी  खबरों  से   चुनावी नुकसान कम से कम हो

Wednesday, February 15, 2012

वेलेंटैनी खाने और व्यवस्था के बेमजा स्वाद से मूह और दिल दोनों का स्वाद बिगड़ गया।

 वेलेंटाइन डे पर अपनी वेलेंटाइन के आदेश पर १४=०२=२०१२ को स्ट्रीट फ़ूड खाने का  वेलेंटैनी  अवसर प्राप्त हुआ ।दिमाग में बचे खुचे घोड़ों को बेतहाशा दौडाने पर सस्ता सुन्दर और टिकाऊ आबुलेन जाने का निर्णय लिया गया।पुराने अखबारी अनुभवों के आधार पर दिन  और शाम को  जाने का ख्याल  त्याग कर शाम का सरूर उतर जाने के बाद ही जाने में अक्लमंदी दिखाई दी\सो  साड़े सात बजे आबुलेन पहुच गए\
चाट बाज़ार में काई या जंग लगी उपेक्षित छतरी 

[२]चाट बाज़ार में काई या जंग लगी उपेक्षित छतरी 

 [३]चाट बाज़ार के शिलान्यास पत्थर 

[४]]चाट बाज़ार के शिलान्यास पत्थर 


आबुलेन पर खड़े  निर्विरोध ठेलों से स्ट्रीट फ़ूड का स्वाद 
      पूर्वनुभासों के अनुरूप वहां पर युवाओं का जमावड़ा या धक्का मुक्की नहीं थी मगर आश्चर्यनजक रूप से विवाहित और ज्यादा तर अधेड़ [शायद विवाहित ही होंगे]जोड़े वेलेंटैनी मूड में दिखाई दिए\जिस आबुलेन से किसी समय ठेले हठा दिए गए थे वहां अब बेतरतीब ठेलों पर स्ट्रीट फ़ूड उपलब्ध था ।कार या बाइक सवार अपनी वेलेन्तैन की खातिर यहाँ स्वीटकार्न+गोलगप्पे+टिक्की+शक्कर कंदीकी स्वादिस्ट चाट  से च्ट्कोरी जीब की आत्मा को संतुस्ट करते दिखाई दिए। यह नाचीज़ भी इसी वेलेंटाइन  दौड़ में शामिल हो गया मगर पेटकी मांग पूरी करने को और जेब की फरयाद  पर  चाट बाज़ार जाना जरूरी हो गया।यहाँ मिडिल लोअर क्लास के साथ साथ मिडिल क्लास के कुछ मिडिल शौकीन थे ।  वहां चिल्ली पनीर+मोमोस+चौमीन+आइसक्रीम आदि  को ठूंसा गया।यहाँ के खाने और व्यवस्था के बेमजा स्वाद  से मूह और दिल दोनों का स्वाद बिगड़ गया।
        उत्तर प्रदेश के मेरठ छावनी परिषद् की आज कल बैठक चल रही है |इसमें जोर शोर से विकास की बात की जा रही है मगर वास्तव में विकास के नाम पर रखरखाव के नाम पर या सुविधाएँ देने के नाम पर किये जा रहे कार्यों या दावों की पोल खोलता है यह बाज़ार। कैंट बोर्ड द्वारा विकसित इस बाज़ार में |वेलेंटाइन डे  पर भी  खाद्य पदार्थों की जाँच तो दूर रही यहाँ पुताई तक नहीं करवाई जा सकी है।टाइल्स लगवाने के वर्षों पुराने वादे अभी भी फाइलों में बंद है।शायद इसीकारण यहाँ के खाद्य पदार्थ बेशक सस्ते हैं मगर क्वालिटी और स्वाद से कौसों दूर हैं।
आबुलेन में ट्रेफिक व्यवस्था सुधारने के लिए यहाँ चाट बाज़ार खोला गया था आबुलेन के ठेले वालों को यहाँ व्यापार करने को अवसर दिया गया था|महज़ १२ साल में ही यह बाज़ार बोर्ड की उपेक्षा से स्वयम को ठगा सा महसूस कर रहा है| बीते १२ सालों से यहाँ पुताई तक नहीं करवाई जा सकी है\एक अदद छत्री नुमा कुछ बनाया गया था उस पर भी उपेक्षा के निशाँ गहराते जा रहे है \आबुलेन पर ठेले दुबारा लगने लगे हैं|ट्रेफिक की ऐसी की तैसी होने लग गई है|यहाँ कानूनी बाज़ार का व्यापार प्रभावित हो रहा है\यह सब हाकिमो की ठीक नाक के नीचे हो रहा है|

Tuesday, February 07, 2012


Tuesday, February 7, 2012

वेलंतायनी मौसम चालू आहे सो हैप्पी वेलंतायन टू आल Happy Valentine Season

वेलंतायनी मौसम चालू आहे सो हैप्पी वेलंतायन टू  आल Happy Valentine Season 
मौसम में मस्ती हैं +मज़ा है +मिन्नत है+मन्नत है+मंज़र हैं+मंजूरी है ।चुनावी आशिकों का  हर मौड़ पर मजमा है| मौसमी नेता मजनूओं की तरह अपने लिए वोटर को लुभाने में लगे हैं|अर्जुन की तरह वोटर की आँख पर निशाना साध रहे हैं।
  ऐसी निशाने बाज़ी  की मौसमी मौज के बाद तो  वोटर के साथ साथ उसके परिवार को भी  बेमौज़ मरना ही है|आज कल हर तरफ चुनावी बयार है सो चुनावी आशिकों की बहार है| लड़कियों के स्कूल कालेजों के बाहर शोहदे हाथों में अपना दिल लिए खड़े दिखाई देने लगे हैं|इनके हीरो संजय दत्त ने भी अपना वेलंटाइन कांग्रेस में तलाश लिया है 
   यहाँ तक की  रॉबर्ट वढेरा भी अपनी पत्नी प्रियंका के प्रेम में प्रियंका के भाई के लिए  राजनितिक  समर्थन जुटाने  में कुछ भी बोलने लगे  हैं | पाकिस्तानी गिलानी  सार्वजनिक रूप से भारत से पींगे बढाने की बात करने लग गए हैं| भारत से काश्मीर के लिए युद्ध को अनावश्यक अनुपयोगी बताने लगे हैं\  शायद  मौसम का ही यह असर होगा की संयुक्त रास्त्र की सुरक्षा परिषद् में सीरिया के रास्त्रपति बशर अल असद को वीटो का उपहार देकर चीन और रूस ने अपना प्यार प्रगट कर ही दिया|अब शायद बशर अल असद को बगावत का सामना[ कुछ समय के लिए ही सही ] नहीं  करना पडेगा।
   जिस प्रकार संजय दत्त ने मुलायम सिंह यादव की एस.पी को छोड़ दिया वैसे ही  अपने वेलंटाइन को  भी तलाक दिया जा सकता है।मगर चुनावों में   गलत नेता को वेलंटाइन बनाने के बाद उसे तलाक अर्थार्त राईट टू रिकाल की कोई गुजाइश नहीं है इसीलिए भाई बांधुओइस सबसे हमें क्या अभी तो हमें अपना सही+ उचित+ सच्चा वेलंताईं Valentine ढूँढना है सो ..............

Saturday, February 04, 2012


मेरठ की छावनी परिषद् में  भ्रस्ताचार के ज्वलंत मुद्दों से आम  जन का ध्यान हटाने को  बासी कड़ी में उबाल लाने की पुराणी रिवायत है जिसका पालन आजकल भी हो रहा है|अतिक्रमण और  अनाधिक्रत मोबाईल टावर काण्ड में गले गले तक फंसे अधिकारी +कर्मचारी +और टावर काण्ड में चिन्हित पार्षद एक जुट हो गए हैं और अपने बचाव के लिए शिवाजी कालोनी उर्फ़ लाल क्वाटरों को  खूब उछाल रहे हैं|इस कार्य में इन्हें स्थानीय मीडिया के एक हिस्से का सहयोग भी भरपूर मिल रहा है|
     आज़ादी के बाद विस्थापितों के पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार ने  तत्कालीन  बोर्ड को मेरठ+आगरा+जालंधर+पुणे आदि में पुनर्वास कालोनियां बनाने का दायित्व सौंपा|यह ना लाभ ना हानि के आधार पर वितरित किये जाने थे|एक निश्चित अवधि तक केयर टेकर की  भूमिका निभा कर  कैंट   बोर्ड द्वारा इन लो इनकम हाऊसिंग स्कीम को लाभार्थिओं को सौंपा जाना था |कुछ समय पश्चात जब ये पिछड़ी +उपेक्षित कालोनी विकसित हो गई तो सबकी निगाह में यह सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन गई।नतीजतन  तत्कालीन पार्षद+अधिकारियों ने एक अनुचित रिसोलुशन पास करा कर कैंट बोर्ड के कर्मियों को ही विस्थापित घोषित कर दिया और एक पूरी कालोनी कैंट बोर्ड के कर्मियों को सौंप दी गई।
    उल्लेखनीय है कि कैंट कर्मियों को  सरकारी सेवक होने के नाते सरकारी आवास तो दे दिए गए मगर उन्हें सरकारी किराया भत्ता भी दिया जाता रहा है।जबकि सरकारी आदेशानुसार सरकारी आवास दिए जाने पर  मकान किराया भत्ता नहीं दिया जाता।
     समय समय पर लीगल रेसिडेंट्स को  अनाधिक्रत +अतिक्र्मंकारी घोषित करके मकान खाली करने को प्रताड़ित किया जाता रहा।कुछ मकान कब्जाए भी जा चुके हैं और कैंट बोर्ड कर्मियों को दिए जा चुके हैं ।इसके अलावा ३० से अधिक मकान खाली करा कर अनाधिक्रत कब्जेदारों को दे दिए गए हैं।इस परोपकार के लिए ५००० से लेकर ७५००० रुपये तक बोर्ड के खाते में  भी जमा करवाए गए । टेबल के नीचे कया हुआ होगा समझा जा सकता है।
     एक  और रिसोलुशन पास करा कर १९८२ में कालोनी के रखरखाव को कैंट बोर्ड ने हाथ पीछे खीच लिए मगर  मासिक किश्त को किराए का रूप देकर लगातार किराए बढाने को नोटिस जारी होते रहे।
     कैंट बोर्ड के इस तानाशाही कदम के विरोध में पुणे +जालंधर+आगरा के तर्ज़ पर मेरठ के लोग भी अदालत गए ।हाई कोर्ट में किराए में वृधि के अपने निर्णय को सही ठहराने को गलत शपथ पत्र दाखिल किया गया जिसमे मेरठ के कैंट बोर्ड ने दावा किया कि कालोनी के रखरखाव के लिए खर्चा बढ जाने से किराया बढाया जाना जरूरी है।इस दलील को माननीय काटजू[तत्कालीन जज ] ने कालोनी वासियों की अपील खारिज कर दी गौर तलब हे की इन्ही माननीय काटजू जी ने जालंधर की कालोनी वासिओं को राहत देते हुए कैंट बोर्ड के सभी दावों को खारिज कर दिया था आज कल यही काटजू जी प्रेस परिषद् के अध्यक्ष हैं शायद उन्हें अभी भी इस केस के विषय में कुछ याद रहा होगा।
     अब फिर से इस मुद्दे को उछाल कर   दशकों पूर्व पुनार्स्थापितों को बुढापे में मानसिक उत्पीडित करके  अपने घरों से बेदखल करने को षड्यंत्र रचे जा रहे हैं।