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Saturday, June 30, 2012

दिल के बहलाने को कश्मीरी जन्नत का ख्याल अच्छा ही है।

कश्मीर भारत  की जन्नत है  इसी जन्नत में एक सप्ताह बिता कर हम भी एक सप्ताह के लिए ही सही जन्नत नशीं हो  चुके हैं इसीलिए इस जन्नत की कुछ हकीकत गालिबन हमें भी  हो गई है।जाहिर है की बकौल ग़ालिब दिल के बहलाने को  जन्नत का ख्याल अच्छा ही है।
काश्मीर का दिल श्रीनगर और श्रीनगर की जान डल  लेक है।इस लेक की सफाई की  व्यवस्था के तमाम दावे केवल किताबी ही दिखाई दिए कुछ उदहारण  प्रस्तुत हैं
[1]डल  लेक पर हाउस बोट के वेस्ट  की निकासी और गंदे पानी के ट्रीटमेंट का कोई उपाय नहीं है
[2]डल  लेक के पानी में जीवन यापन करने वाली  मछलिओं  का शिकार करने वाले परिंदों और मानवों की कमी नहीं है लेकिन इस पानी में तैरने वाली काई+घास आदि की भी भरमार है[फोटो 1] जिसके फलस्वरूप साफ़ पानी को  नीचे तक देख पाना असंभव है ।
[3]डल  लेक को साफ़ करने को एक  मशीन  लेक में है मगर इसकी स्पीड बर्ष भर में ढाई  कोस ही है [फोटो 2]
[4]डल  का इलाका व्यापार की द्रष्टि  से महत्वपूर्ण है मगर सफाई की  बद इन्तेजामी व्यवस्था के तमाम दावों पर प्रश्न चिन्ह  लगा रही है  [फोटो 3]
[1] डल  में घास 

[2]घास साफ़ करने वाली मशीन एक किनारे लगी है 

[3]सफाई की बद इन्तेजामी 

[4]अनियंत्रित ट्रफिक 

[5]  कश्मीरी जन्नत ]
[5] आये दिन लगाने वाले ट्रेफिक जाम बेशक घाटी  में पर्यटकों की आमद और घाटी में सामान्य होते हालात का प्रदर्शन करते हों मगर ट्रेफिक पोलिस को भी कहीं न कहीं कटघरे में खडा करते ही है [फोटो 4]

Monday, June 18, 2012

राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़े जायेंगे नगर निगम के चुनाव

 भाजपा  द्वारा [लगता है] मेरठ  निगम के चुनाव भी दिल्ली की तर्ज़ पर ही   लड़े जायेंगे निगम स्तर के मुद्दों के बजाये यहाँ भी राष्ट्रीय समस्याओं को उभार कर जीत हासिल कर ली  जायेगी।अक्सर देखा गया है की  स्थानीय स्तर के चुनाव स्थानीय मुद्दों पर  ही  लडे  जाते हैं मगर हाल ही में दिल्ली की तीनो स्थानीय इकाइयों पर भाजपा ने कब्ज़ा किया है इसके लिए वहां  पानी +सड़क+सफाई+अनाधिकृत  कालोनियों  आदि से  सम्बंधित   समस्याएं  गौण   रही और   राष्ट्रीय स्तर के महंगाई+भ्रष्टाचार+सीमा सुरक्षा  आदि मुद्दे फायदेमंद साबित हुए ।
   यही प्रयोग अब पार्टी मेरठ में भी करने जा रही है क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के युवा नेता वरुण गांधी ने18-06-2012 को  मेरठ में अपना पहला चुनावी  भाषण दिया लगभग 20 मिनट के इस भाषण में उन्होंने अपने राष्ट्रीय  विरोधी+सपा+बसपा+कांग्रेस को जम कर कोसा  ।
   मेरठ के शारदा रोड पर  भाजपा के   महापौर  प्रत्याशी हरिकांत  अहलुवालिया के पक्ष में आयोजित  इस जन सभा में  भाजपा के राष्ट्रीय महा सचिव वरुण  गांधी ने अपने राष्ट्रीय नेता और संभवत राजनितिक गुरु  अटल बिहारी वाजपई  के अंदाज़ को अपनाते हुए बड़े कूल  स्वभाव   में तंज़ कसे लेकिन अटल बिहारी वाजपई के भाषणों में व्यंग के साथ हास्य का पुट  भी बहुत  रहता था जिसका आज  के भाषण में सर्वथा अभाव दिखाई दिया । 
    कुछ व्यंगों की बानगी प्रस्तुत है 
 [1]अखिलेश  यादव  बहुत अच्छे कोमल दिल वाले इंसान है मगर उनपर जो उत्तर प्रदेश के शासन का बोझ  डाल   दिया गया है  उससे उनके कमजोर कंधे  झुक गए है।
[2]मायावती जो थी सो थी ये [अखिलेश] भी कम  नहीं  हैं।
[3]एक [अल्पसंखक]वर्ग विशेष को सुविधाएं देने के विरोध में  नहीं  इससे एक समाज का भला हो रहा है  मगर  सबके साथ यह व्यवहार होता तो पूरे  देश का भला होता 
[4]अखिलेश और में[वरुण] युवा होते हुए भी युवाओं को जोड़ नहीं पाए यह काम अन्ना हजारे ने कर दिया 
[5]कांग्रेस पर तो  सीधा प्रहार करते हुए कांग्रेस को महंगाई और भ्रष्टाचार  बढाने वाली  क्रूर सरकार बताया 
[6 ]में[ वरुण] अगर गांधी ना होता तो सांसद नहीं होता कहीं पोस्टर बॉय या अगली कतार में ताली बजाने वाला होता [
[7] भाजपा को भ्रष्टाचार मुक्त पार्टी बताया राष्ट्रीय मुद्दों पर  लड़े  जायेंगे  नगर निगम के चुनाव 

Sunday, June 17, 2012

ग्लोबल सिटी गंगा नगर मेरठ में आज बैंड बाजों के साथ कलश यात्रा निकाली गई।




ग्लोबल सिटी  गंगा नगर  मेरठ में  नवनिर्मित    शिव शक्ति  मंदिर प्रांगन में चल रहे मूर्ति प्राण  प्रतिष्ठा समारोह   के अंतर्गत चल रहे  5 दिवसीय धार्मिक अनुष्ठानों की  पहली प्रक्रिया में आज18 जून 2012 ईस्वी। सोमवार। उत्तरायण। ग्रीष्म ऋतु। राहुकाल की  सुबह  बैंड बाजों के साथ  कलश यात्रा निकाली गई।
 इसमें ३३ सुहागिनों ने पीले अंगवस्त्र धारण करके सर पर जल कलश धारण किया और छेत्र की परिक्रमा भी की सबसे  पहले 
मंदिर प्रांगन में पूजा कराई गई फिर कलश यात्रा  का  संकल्प धारण कराया गया \रंग बिरंगे मिट्टी के कलश पर रौली+ आम के    पत्ते   +चुन्नी से सजाया गया  और उसके ऊपर  नारियल फल सजाया गया    इसके उपरान्त  सर पर   जल  कलश धारण  करके छेत्र  में यात्रा निकाली गई 
22 जून को पूर्ण विधि विधान से विग्रहों की प्राण  प्रतिष्ठा होगी हवं कराया जाएगा   और विशाल भंडारे का आयोजन होगा

Wednesday, June 13, 2012

सर्वोच्च संवैधानिक पद राष्ट्रपति के चुनाव भी अब किसी बेस्ट सेलर सस्पेंस थ्रिलर की भांति हो गए हैं

 यूपी ऐ की अध्यक्षा श्रीमति सोनिया गाँधी ने आज त्रिमुल कांग्रेस की अध्यक्षा और बंगाल की सी एम् ममता बेनर्जी के कान में प्रेसिडेंट के लिए दो नाम क्या फूंक दिए की हंगामा हो गया |अब सभी एक एक करके अपने पत्ते खोलने लग गए हैं| कांग्रेस की एक  चाल  पर सबसे पहले अपने कार्ड्स शो करने में मुलायम सिंह और ममता ने पहल कर दी है 
 भारत का संविधान  सभ्य  समाज के लिए  एक  सभ्य  द्वारा  रचा  गया था  मगर  मात्र  6 दशकों में ही  सभ्यता के सभी  मान्य  पैमाने टाक पर रख दिए गए है  यहाँ तक की सर्वोच्च संवैधानिक  पद राष्ट्रपति  के चुनाव  भी अब  किसी  बेस्ट सेलर सस्पेंस  थ्रिलर  की भांति  हो गए हैं।13-06-2012 के घटनाक्रम को देखते हुए यह चेतावनी देना भी जरूरी है की कमज़ोर दिल वाले कृपया इसे ना देखे या पड़े ।


  श्रीमति गांधी पर पिछले कई दिनों से अपना प्रत्याशी घोषित करने को दबाब था आज उन्होंने यह दबाब दूसरों पर डाल दिया उन्होंने अपने सहयोगी टी एम् सी की अध्यक्षा को प्रेसिडेंट के लिए वितमंत्री प्रणव मुखर्जी और उपराष्ट्रपति के नाम सुझाए |इसके जवाब में ममता बेनर्जी और सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने संयुक्त मीटिंग में इन्हें खारिज करके [१]पूर्व राष्ट्रपति ऐ पी जे अब्दुल कलाम  [२]वर्तमान पी एम् डाक्टर मनमोहन सिंह और [३]पुर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के नाम सुझा दिए| अभी मुख्य विपक्षी दल एन डी ऐ और शरद पोवार ने कुछ कहने से गुरेज किया है |ये लोग  अभी भी कांग्रेस के अधिकृत घोषणा  की प्रतीक्षा में ही हैं।
   यह घटना क्रम इतनी गति से   आगे बड़ा की देवानंद की सुपरहिट फिल्म जोनी मेरा नाम  के सस्पेंस को भी  पीछे छोड़ दिया।उत्तरप्रदेश और वेस्ट बंगाल में आर्थिक पैकेज के बदले अपनी 10% वोटों का  समर्थन देने वाले
      मुलायम सिंह यादव+   उपराष्ट्रपति अंसारी  के नाम पर असहमति व्यक्त कर चुके हैं  और ममता का प्रणव के साथ छत्तीस का पुराना आंकड़ा है |24% वोटों वाली 
भाजपा तो संसद में ही   श्री अंसारी की काबलियत पर  प्रश्न  चिन्ह  लगा उन्हें उन्हें  सिरे से ही   खारिज कर चुकी है 
53% वाली यूपीए की अध्यक्षा को  पता था की ममता मुलायम से सलाह करके ही कोई घोषणा करेगी सो ऐसे ही दो नाम रखे गए और उम्मीद के अनुसार ममता+मुलायम सिंह ने कांग्रेस  की दो उम्मीदवारों की लायन को छोटा करने को अपने तीन नाम घोषित कर दिए।अब कांग्रेस के लिए बीएसपी और वामपंथी दलों के विषय में फैसला करने में आसानी होगी  
     अब पुर्व राष्ट्रपति  के नाम पर कांग्रेस को ऐतराज़ है क्योंकि वह भाजपा की भी पसंद है । सोमनाथ को हरा कर ममता जायंट किलर का खिताब जीत चुक्की हैं 50000 वोटों वाली वामपंथी  भी अभी तक सोमनाथ के हाथों अपना अपमान नहें भूले हैं\वैसे भाजपा हमेशा की तरह आम टूटने की फिराक में है क्योंकि अगर आम सहमति के अपने दावे को कांग्रेस पूरा करती है तो उपराष्ट्रपति का पद एन डी  ऐ की झोली में जा सकता है मगर कांग्रेस भी 2014 तक अपनी छवि को  और धूमिल नहीं होने देना चाहेगी कांग्रेस के लिए भाजपा को इन चुनावों में पटखनी देना जरूरी है 
  हमेशा चुप रहने वाले  हसाड़े  सोने ते मंमोहने पी एम् ने  झट  वर्तमान पद के प्रति अपना  आश्चर्यजनक रूप से  संतोष व्यक्त कर दिया |अर्थार्त अभी सस्पेंस  बरकरार है अभी और नाम आने हैं |
   संविधान के अनुसार सीक्रेट बेलेट से ही प्रत्याशिओं का चयन होना है मगर खुले आम इस प्रकार की सौदे बाज़ी सभी समाज की सभी व्यवस्था का प्रदर्शन तो कतई नहीं करती |
जेंटल मेन द्वारा रचित संविधान जेंटल मेन के लिए ही है मगर देश के सबसे संविधानिक पद के चुनाव के लिए इस प्रकार की राजनीति कुछ और ही दर्शाती है

Tuesday, June 12, 2012

।छावनी के ये सौतेले बाप अब निगम पर भी काबिज़ होना चाहते हैं

मेरठ की छावनी परिषद् का हाल भी नगर निगम की तरह ही बेहाल है |कहने को करोड़ों रुपयों का बजट है भारी भरकम कर्मचारिओं का अमला है |आउट सोर्सिंग से काम कराने की सुविधा है|इसपर भी चिकित्सा+शिक्षा+सेनिटेशन +सडकों के मामले जैसी नागरिक सुविधाओं के नाम पर इनकी जितनी भी आलोचना की जाये कम ही है|
[1] केंट को चमकाने के तमाम दावों को झुटलाता  यह सुलभ  शौचालय 
    जिन राजनितिक दलों ने इस परिषद् के लिए चुनाव लड़ा था और छावनी को बहिश्त  बनाने का दवा किया था कमोबेश  वोही  सारे दल अब नगर निगम  के चुनावों  में भी नगर को चमकाने का  दावा कर रहे हैं।छावनी  के ये सौतेले बाप अब निगम  पर भी काबिज़  होना  चाहते हैं।बेशक कुछ दल खुल कर अपने चुनाव चिन्ह  का प्रयोग कर रहे हैं तो कई  बेक  डूर  से लगे हुए हैं।
    आबुलेन की सेन्ट्रल पार्किंग के नाम पर बहुमूल्य सम्म्पतियो के  अधिग्रहण के मामले में  सदेव  आगे रहने वाली यह परिषद् छेत्र में बेशकीमती जमीन की लूट रोकने में एक दम किंकर्तव्यविमूड़ ही है| पूर्व में यह दलील दी जाते थी की यहाँ एलेक्टेद बोडी नहीं है अब अबलेक्टेद परिषद् है केंट का अध्यक्ष भी अब ब्रिगेडियर से मेजर जनरल बना दिया गया है लेकिन सुविधाओं की ट्रेन अभी तक डिरेल ही है|
निर्धन नागरिकों को आवश्यक सुविधाओं के लिए छावनी में सुलभ शौचालय बनवाये गए थे मगर केवल दो दशकों में ही इनकी क्या हालत हो गई है यह इस चित्र को देख कर समझा जा सकता है|यह सुलभ शौचालय माल रोड पर इंस्पेक्शन बंगलो के पीछे है और इसके रखरखाव से ही कम से कम दो परिवारों को रोज़गार मिल सकता है |वैसे अगर इसकी अब जरूरत नहीं है तो इसे नेस्तेनाबूत कर दिया जाना चाहिए क्यूंकि यह उपेक्षित भवन गैर कानूनी गतिविधिओं का स्थल बनता जा रहा है 

Saturday, June 09, 2012

तनाव मुक्त शिक्षा देने का शोर मचाने वाले स्वयम हर छेत्र में तनाव को ही दावत दे रहे हैं शायद यह हमारे सिस्टम की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा।

हमारे मिस्टर एच आर डी  काबिल सिब्बल आज कल  जिस  छेत्र  में भी क़ाबलियत दिखा रहे है   उसी  छेत्र  में भ्रान्ति+भय+भद्दापन  दिखाई देता है ।इसीके फलस्वरूप विरोध+विद्रोह+विरक्ति में आपसी सामंजस्य बनता जा रहा है। तनाव  मुक्त  शिक्षा  देने का शोर मचाने वाले स्वयम हर छेत्र  में तनाव  को ही दावत दे रहे हैं शायद यह हमारे  सिस्टम की सेहत के लिए  ठीक  नहीं होगा।
  सिब्बल ने बाबा रामदेव और अन्ना हजारे सरीखे बेस्ट  सेलर  फायर ब्रांड्स के विरुद्ध बोल कर  उत्तर  प्रदेश में अपनी  पार्टी  की फजीहत कराई।शिक्षा के मौलिक अधिकार में अपनी उंगलियाँ जलाई  यह अभी अक्षरः लागू तो हुआ नहीं उलटे विरोध  का सामना करना पड़  रहा है।अब इंजीनियरिंग की परीक्षा के लिए देश भर में एक ही 'परीक्षा  कराने का निर्णय लेकर निशाने 'पर  आ गए है ।इस सिंगल एंट्रेंस प्रयोग को  सफलतम  आई  आई टी की स्वायत्ता +गुणवत्ता पर  अटैक  बताया  जा रहा है।
    मूंछ की इस लड़ाई में आई आई टी कानपुर और मानव संसाधन  विकास मंत्रालय आमने सामने आ गए हैं।जहां एक तरफ कानपुर ने केंद्र की इस  ताना शाही को चेतावनी देकर अपनी व्यवस्था नहीं बदलने की बात कही है वहीं  की हटधर्मी से कानपुर का बजट +शोध  अनुदान पर खतरा मंडराने लगा है।
    इससे बुरा औबर क्या हो  सकता है की देश की राजधानी दिल्ली और  वाणिज्यक  राजधानी मुम्बई ने भी केंद्र के खिलाफ बगावटी सुर  बोलने शुरू कर दिए है जब गुवाहाटी  + खड़क'पुर ने सिबल की क़ाबलियत का समर्थन कर दिया है \इससे पूर्व मंत्री ने स्वयम कहा था की यदि एक भी कालेज इस व्यवस्था का विरोध करेगा तो इसे वापिस ले लिया जाएगा लेकिन वर्तमान आरोप प्रत्यारोप देख कर यह असंभव ही लग रहा है

   गौरतलब है की इंजीनियरिंग की 'पढाई  के लिए देश के  आई  आई टी  संस्थानों का  देश और  विकसित  देशों में अपना विशेष महत्त्व   है इनके अपने अपने प्रवेश नियम हैं सिलेबस  है शायद इसीलिए  यहाँ  के स्नातकों की मार्केट वेल्यू भी है  शेष कालेजों को इस स्तर 'पर लाने के  बजाये  पिछले  कुछ समय से इन्हें शेष  इंजीनियरिंग  बोर्ड आई आई आई टी+एन आई टी++ के स्तर पर लाने का  प्रयास  किया जा रहा है शायद इसलिए इसका प्रखर विरोध भी हो रहा है ।
   मिस्टर एच आर डी सिब्बल की क़ाबलियत पर कानपूर में कुएश्चन मार्क??लग गया है|आई आई टी कानपूर की एकेडमिक सीनेट ने सीना ठोक कर संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए मंत्रालय के निर्णय को कूड़े दान में डाल दिया है और दूसरे आई आईटी को साथ आने को निमंत्रण भी दे दिया है| कपिल सिब्बल के ड्रीम प्रोजेक्ट शिक्षा के अधिकार पर हो रही छिछालेदारी अभी कम नहीं हुई की ये नया बखेड़ा खडा हो गया लगता है की काबिल वकील सिब्बल की पीठ पर बैठे विवादों के बेताल हटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं|
कपिल सिब्बल पूरे देश में इंजीनियरिंग की एक सामान परीक्षा कराना चाहते हैं इसके लिए xii कक्षा के मार्क्स भी जोड़े जाने हैं|चूँकि यह परीक्षा सी बी एस ई के माध्यम से होनी है सो आई आई टी को यह मंजूर नहीं है वैसे तो देश में ४४ स्टेट बोर्ड है यहाँ पेपर  भी आउट  होते रहते हैं।सबकी अपनी मूल्यांकन+ चयन प्रक्रिया है ऐसे ही आई आई टी की भी अपनी प्रक्रिया है इसीलिए आई आई टी देश में अग्रणी है | कुछ सालों से आई आई टी पर सरकारी पकड़ मजबूत करने को कवायद चल रही है| संभवत इसीलिए जे ई ई में बदलाव लाया गया है | हाई स्कूल तक की परीक्षा में कम्पटीशन का तनाव ना हो इसके लिए इसका सरलीकरण किया गया मगर आश्चर्यजनक रूप से इंजीनियरिंग की परीक्षा में प्रतिस्पर्धा को कडा करके तनाव पैदा करना समझ से परे हैं
  इसके अलावा  इस वर्ष   एक ही शहर में 38000 xii  'पास अगली 'पढाई  के लिए दर  दर  भताकने  को मजबूर है इसीलिए नई विवाद 'पैदा करने के बजाए   जो है 'पहले  वह  सजो  लिया   जाये 

Sunday, June 03, 2012

योग गुरु बाबा रामदेव आज दिल्ली में एक दिन के सांकेतिक अनशन और उनका साथ देने के लिए अन्ना हजारे भी एक दिवसीय धरने पर बैठे

योग गुरु बाबा रामदेव आज दिल्ली में एक दिन के सांकेतिक अनशन  और उनका साथ देने के लिए अन्ना हजारे भी एक दिवसीय धरने पर बैठे इस अवसर पर जहां टीम अन्ना एक अनुशासित  जबकि बाबा स्वयम भी अपने सहयोगिओं  के साथ उत्साह में भरे हुए थे | यद्यपि बाबा ने अपने भाषण में कई  बार  अन्ना हजारे को पूरा सम्मान  दिया मगर  फिर भी  कभी कभी अन्ना हजारे के  चेहरे के भाव बदलते भी रहे|
 अब यह बेरी और कैले की  दोस्ती कब तक चल पायेगी समय ही बताएगा |
     सबसे पहले राजघाट पर बाबा रामदेव  अपने ढेरों समर्थकों के साथ  पहुंचे और मौन पर बैठ गए थोड़ी देर के बाद   अन्ना हजारे अपनी टीम के साथ पहुंचे  और उन्हें बाबा के पीछे बैठने का इशारा किया गया इसपर अन्ना ने अग्रिम पंक्ति में बाबा के बाईं और बैठना पसंद किया |बाबा राम देव ने मौन की ओउप्चारिकता पूरी की  और खड़े हो गए उनके समर्थक  भी साथ ही उठ खड़े हुए तब तक अन्ना मौन में ही थे कुछ क्षण इंतज़ार करने के बाद अन्ना को   भी उठा दिया गया| मालूम हो  की पूर्व में अन्ना  अपने समय के अनुसार ही मौन पर बैठे रहे थे और उनके किसी भी सदस्य ने उन्हें उठाने की कौशिश तक नहीं की थी|   
     दोनों ने  महात्मा  मोहन दास करम  चंद  गांधी  की समाधि पर माथा  टेका और पुष्पांजलि अर्पित की |सबसे पहले अन्ना ने माथा टेका और पुष्पांजलि  अर्पित की तब बाबा के हाथ खाली थे  इस पर असहज  होते हुए बाबा ने अपने  सहयोगी बाल कृषण से फूल मांग कर  चड़ाए |इसके पश्चात दोनों ने एक साथ पुष्पचक्र चड़ाए|
   शहीद समारक में  अपने कद से बड़ी शहीदों की मुर्तिओं  पर  फूओं की माला चडाने के लिए बाबा  उछालते रहे लेकिन अपने साथ खडी किरण बेदी को  माल्यार्पण के लिए आमंत्रित करने से नहीं चूके किरण बेदी ने शालीनता का परिचय देते हुए मूर्ति के  हाथों में ही  माला चड़ा दी |अन्ना ने अपने भाषण के अंत में  विशाल भीड़ को सम्भोदित करते हुए कहा की अब बेटरी चार्ज हो गई है तब उनके बाद आये मंच संचालक महोदय कह बैठे की बेटरी तो पहले से ही चार्ज है|इसके अलावा सबसे बड़ा विवाद तो तब हुआ जब अरविन्द केजरीवाल ने अपने भाषण में भ्रष्ट नेताओं के नाम लिए तब बाबा ने उनका विरोध करते हुए किसी का नाम नहीं लेने को कहा और अरविन्द मंच छोड़ कर चले गए ab 
     मंच पर  दोनों दिग्गज एक साथ   बैठे थे  |दोनों के सहयोगी  समय समय पर  उनसे सलाह मशविरा या सूचना देते  रहे मगर जहां अन्ना हजारे की टीम के सदस्य अनुशाषित होकर उनके पीछे से आकर  बात कर रहे थे वहीं बाबा के समर्थक सामने से आकर बात कर रहे थे यहाँ तक की मंचीय माहिर ओज के   सशक्त हस्ताक्षर  हरी ॐ पवार भी सामने से आकर बाबा से गुफ्तगू करते रहे उनके सामने से आने  से अन्ना की छवि टीवी कमरों से छुपजाती थी |
  जन लोकपाल और काले धन की वापसी के लिए जंग अनिश्चित काल तक के लिए लड़ी जानी है ऐसे में  कैले और बेरी का साथ कब तक निभेगा क्योंकि बैर तो अपनी मौज में हवा के रुख पर नाच कर रहा है मगर उसके  काँटों से कैले की  फली कटते जा रहे है