Pages

Search This Blog

Wednesday, February 15, 2012

वेलेंटैनी खाने और व्यवस्था के बेमजा स्वाद से मूह और दिल दोनों का स्वाद बिगड़ गया।

 वेलेंटाइन डे पर अपनी वेलेंटाइन के आदेश पर १४=०२=२०१२ को स्ट्रीट फ़ूड खाने का  वेलेंटैनी  अवसर प्राप्त हुआ ।दिमाग में बचे खुचे घोड़ों को बेतहाशा दौडाने पर सस्ता सुन्दर और टिकाऊ आबुलेन जाने का निर्णय लिया गया।पुराने अखबारी अनुभवों के आधार पर दिन  और शाम को  जाने का ख्याल  त्याग कर शाम का सरूर उतर जाने के बाद ही जाने में अक्लमंदी दिखाई दी\सो  साड़े सात बजे आबुलेन पहुच गए\
चाट बाज़ार में काई या जंग लगी उपेक्षित छतरी 

[२]चाट बाज़ार में काई या जंग लगी उपेक्षित छतरी 

 [३]चाट बाज़ार के शिलान्यास पत्थर 

[४]]चाट बाज़ार के शिलान्यास पत्थर 


आबुलेन पर खड़े  निर्विरोध ठेलों से स्ट्रीट फ़ूड का स्वाद 
      पूर्वनुभासों के अनुरूप वहां पर युवाओं का जमावड़ा या धक्का मुक्की नहीं थी मगर आश्चर्यनजक रूप से विवाहित और ज्यादा तर अधेड़ [शायद विवाहित ही होंगे]जोड़े वेलेंटैनी मूड में दिखाई दिए\जिस आबुलेन से किसी समय ठेले हठा दिए गए थे वहां अब बेतरतीब ठेलों पर स्ट्रीट फ़ूड उपलब्ध था ।कार या बाइक सवार अपनी वेलेन्तैन की खातिर यहाँ स्वीटकार्न+गोलगप्पे+टिक्की+शक्कर कंदीकी स्वादिस्ट चाट  से च्ट्कोरी जीब की आत्मा को संतुस्ट करते दिखाई दिए। यह नाचीज़ भी इसी वेलेंटाइन  दौड़ में शामिल हो गया मगर पेटकी मांग पूरी करने को और जेब की फरयाद  पर  चाट बाज़ार जाना जरूरी हो गया।यहाँ मिडिल लोअर क्लास के साथ साथ मिडिल क्लास के कुछ मिडिल शौकीन थे ।  वहां चिल्ली पनीर+मोमोस+चौमीन+आइसक्रीम आदि  को ठूंसा गया।यहाँ के खाने और व्यवस्था के बेमजा स्वाद  से मूह और दिल दोनों का स्वाद बिगड़ गया।
        उत्तर प्रदेश के मेरठ छावनी परिषद् की आज कल बैठक चल रही है |इसमें जोर शोर से विकास की बात की जा रही है मगर वास्तव में विकास के नाम पर रखरखाव के नाम पर या सुविधाएँ देने के नाम पर किये जा रहे कार्यों या दावों की पोल खोलता है यह बाज़ार। कैंट बोर्ड द्वारा विकसित इस बाज़ार में |वेलेंटाइन डे  पर भी  खाद्य पदार्थों की जाँच तो दूर रही यहाँ पुताई तक नहीं करवाई जा सकी है।टाइल्स लगवाने के वर्षों पुराने वादे अभी भी फाइलों में बंद है।शायद इसीकारण यहाँ के खाद्य पदार्थ बेशक सस्ते हैं मगर क्वालिटी और स्वाद से कौसों दूर हैं।
आबुलेन में ट्रेफिक व्यवस्था सुधारने के लिए यहाँ चाट बाज़ार खोला गया था आबुलेन के ठेले वालों को यहाँ व्यापार करने को अवसर दिया गया था|महज़ १२ साल में ही यह बाज़ार बोर्ड की उपेक्षा से स्वयम को ठगा सा महसूस कर रहा है| बीते १२ सालों से यहाँ पुताई तक नहीं करवाई जा सकी है\एक अदद छत्री नुमा कुछ बनाया गया था उस पर भी उपेक्षा के निशाँ गहराते जा रहे है \आबुलेन पर ठेले दुबारा लगने लगे हैं|ट्रेफिक की ऐसी की तैसी होने लग गई है|यहाँ कानूनी बाज़ार का व्यापार प्रभावित हो रहा है\यह सब हाकिमो की ठीक नाक के नीचे हो रहा है|