इतने सारे सियासी गम जान को लगे हों तो विपक्ष के धर्म किसे याद आते है भाजपा बेचारी किवें जीवे मुड़ मुड़ ठंडा पानी पीवे |जी हाँ आज कल बेचारी भाजपा पर यह जुमला फिट बैठ रहा है|
जब से सत्ता सुख छिना गया तभी से मुसीबतें है की एक के बाद एक चली ही आ रही हैं इन्ही में उलझ कर भाजपा अपने विपक्ष के धर्म को ही भूल गई है |ठीक भी है पहले अपने घर की आग को बुझाओ दूसरों का नंबर तो बाद में ही आता है|
एस एस अहलुवालिया की राज्य सभा के लिए झारखंड में हार से अभी आरोप प्रत्यारोपों से पार्टी उबरी भी नहीं थी की राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विद्रोह का बिगुल बजा दिया है सूना है की अब तक ५१ विधायक अपने समर्थन के रूप में पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं|यह विद्रोह भी पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के आदेशों के ही खिलाफ है अहलुवालिया की हार का ठीकरा भी पार्टी अध्यक्ष की राजनितिक अदूर दर्शिता के सर ही फौड़ा जा रहा है|
बिहारी बाबू नितीश कुमार अभी तक गुजरात के नरेंदर मोदी को खुल के समर्थन नहीं दे पाए हैं\इसीलिए मोदी के लिए दिल्ली की राह आसान नहीं हुई है|मध्य प्रदेश से आयातित साध्वी उमा भारती ने विवादों में घिरे निर्मल बाबा को समर्थन दे कर मीडिया के छत्ते में हाथ दे दिया है |दिल्ली की राजनीति के माहिर अरुण जेटली पर बोफोर्स में अमिताभ बच्चन का नाम घसीटने कालिख पोती जा रही है|कीर्ति आज़ाद सचिन तेंदुलकर में ही उलझे हुए हैं\यशवंत सिन्हा यदा कदा पार्लियामेंट में मुद्दा उठाते हैं तो वह नक्कार खाने में तूती ही लगती है \ श्रीमती सुषमा स्वराज आज कल बेक फुट पर हैं| पार्टी का मुस्लिम चेहरा मुख्तार अबास नकवी और शाहनवाज़ खान बेचारे टी वी चेनलों पर बेबस नज़र आ रहे है |
यहाँ यह कहना भी लाज़मी है की जब भी भाजपा कमजोर दिखती है या विवादों में घिरती है तभी सी बी आई अपने पुराणी फायलों से धुल साफ़ करके एक नया बखेड़ा खडा कर देती है तभी तो वर्तमान में भाजपा की शोचनीय स्थिति के मध्य नज़र पार्टी के व्योवर्ध भारी भरकम नेता लाल क्रिशन आडवानी को बाबरी मस्जिद काण्ड में षड्यंत्रकारी बता कर जांच के घेरे में लिए जाने की बात करने लगी है |अब जब इतने सारे सियासी गम जान को लगे हों तो विपक्ष के धर्म किसे याद आते है