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Sunday, April 08, 2012

मेलों में हस्तकला और सफाई को महत्त्व दिया जाना चाहिए

मेलों में सफाई भी जरूरी है 

एयर गन से गुब्बारे फोड़ने  का अपना ही मज़ा है 

मानव उत्सव प्रिय अस्ति \
जी हाँ सदिओं से मानव उत्सव मनाने के लिए नए नए ढंग खोज कर अपनी यह चाहत पूरी करता आ रहा है ।मेरठ के जीम खाना मैदान में भी नव सम्वत्सर मेले का दो दिवसीय आयोजन किया गया ।यह मेला हिन्दू नव वर्ष से जुड़ा था सो में ०८=०४=२०१२ को इसके समापन समारोह देखने पहुँच गया ।
विश्व प्रसिद्ध नौचंदी मेले के चलते यह मेला लगाना अपने आप में एक कठिन चुनौती है फिर भी युवाओं ने सराहनीय ढंग से इसे पूर्ण कराया ।
अन्य अनेक आयोजनों के बीच एक हस्तकला का आयोजन का उल्लेख जरूरी है । उत्साही होनहार बच्चों विशेष कर छात्राओं ने कबाड से अनेको उपयोगी वस्तुएं बना कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया रुई से बल्ब और स्ट्रा[ड्रिंक के बाद फैंके जाने वाले प्लास्टिक के पाइप] से गुढियाके साथ ही टूटे डब्बे से पेन होल्डर सराहनीय थे।
    मेने पहले भी हस्तकला या क्राफ्ट को शिक्षा से जोड़ कर इसे रोज़गार परक बनाए जाने की आवाज़ उठाई है इस लिए में यह जरूर कहना चाहता हूँ की इस प्रकार की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए बनाये गए क्राफ्ट की नीलामी करवा कर बच्चों में बांटी जाने चाहिए।इससे शिक्षा को नया आयाम मिल सकेगा।प्रोजेक्ट के नाम पर चल रही लूट को क्राफ्ट के माध्यम से कमाई का जरिया बनाया जा सकता है।
    इस प्रकार के मेलों में मुझे सफाई को लेकर   एक बात बहुत अखरती है वोह है मेला प्रेमिओं द्वारा इधर उधर चाट के पत्ते+पोलिथीन+आदि फैंकना और मेले के बीच में ही स्कूटर या मोटर चला कर धुल उड़ाना ।कहने की आवश्यकता नहीं की खाने पीने के खुले  स्टाल पर धुल पड़ने से बिमारिओं  की  दावत हो सकती है।
    मेलों में हस्तकला और सफाई को महत्त्व दिया जाना चाहिए    जमोस सबलोक