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Tuesday, June 12, 2012

।छावनी के ये सौतेले बाप अब निगम पर भी काबिज़ होना चाहते हैं

मेरठ की छावनी परिषद् का हाल भी नगर निगम की तरह ही बेहाल है |कहने को करोड़ों रुपयों का बजट है भारी भरकम कर्मचारिओं का अमला है |आउट सोर्सिंग से काम कराने की सुविधा है|इसपर भी चिकित्सा+शिक्षा+सेनिटेशन +सडकों के मामले जैसी नागरिक सुविधाओं के नाम पर इनकी जितनी भी आलोचना की जाये कम ही है|
[1] केंट को चमकाने के तमाम दावों को झुटलाता  यह सुलभ  शौचालय 
    जिन राजनितिक दलों ने इस परिषद् के लिए चुनाव लड़ा था और छावनी को बहिश्त  बनाने का दवा किया था कमोबेश  वोही  सारे दल अब नगर निगम  के चुनावों  में भी नगर को चमकाने का  दावा कर रहे हैं।छावनी  के ये सौतेले बाप अब निगम  पर भी काबिज़  होना  चाहते हैं।बेशक कुछ दल खुल कर अपने चुनाव चिन्ह  का प्रयोग कर रहे हैं तो कई  बेक  डूर  से लगे हुए हैं।
    आबुलेन की सेन्ट्रल पार्किंग के नाम पर बहुमूल्य सम्म्पतियो के  अधिग्रहण के मामले में  सदेव  आगे रहने वाली यह परिषद् छेत्र में बेशकीमती जमीन की लूट रोकने में एक दम किंकर्तव्यविमूड़ ही है| पूर्व में यह दलील दी जाते थी की यहाँ एलेक्टेद बोडी नहीं है अब अबलेक्टेद परिषद् है केंट का अध्यक्ष भी अब ब्रिगेडियर से मेजर जनरल बना दिया गया है लेकिन सुविधाओं की ट्रेन अभी तक डिरेल ही है|
निर्धन नागरिकों को आवश्यक सुविधाओं के लिए छावनी में सुलभ शौचालय बनवाये गए थे मगर केवल दो दशकों में ही इनकी क्या हालत हो गई है यह इस चित्र को देख कर समझा जा सकता है|यह सुलभ शौचालय माल रोड पर इंस्पेक्शन बंगलो के पीछे है और इसके रखरखाव से ही कम से कम दो परिवारों को रोज़गार मिल सकता है |वैसे अगर इसकी अब जरूरत नहीं है तो इसे नेस्तेनाबूत कर दिया जाना चाहिए क्यूंकि यह उपेक्षित भवन गैर कानूनी गतिविधिओं का स्थल बनता जा रहा है