हमारे मिस्टर एच आर डी काबिल सिब्बल आज कल जिस छेत्र में भी क़ाबलियत दिखा रहे है उसी छेत्र में भ्रान्ति+भय+भद्दापन दिखाई देता है ।इसीके फलस्वरूप विरोध+विद्रोह+विरक्ति में आपसी सामंजस्य बनता जा रहा है। तनाव मुक्त शिक्षा देने का शोर मचाने वाले स्वयम हर छेत्र में तनाव को ही दावत दे रहे हैं शायद यह हमारे सिस्टम की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा।
सिब्बल ने बाबा रामदेव और अन्ना हजारे सरीखे बेस्ट सेलर फायर ब्रांड्स के विरुद्ध बोल कर उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी की फजीहत कराई।शिक्षा के मौलिक अधिकार में अपनी उंगलियाँ जलाई यह अभी अक्षरः लागू तो हुआ नहीं उलटे विरोध का सामना करना पड़ रहा है।अब इंजीनियरिंग की परीक्षा के लिए देश भर में एक ही 'परीक्षा कराने का निर्णय लेकर निशाने 'पर आ गए है ।इस सिंगल एंट्रेंस प्रयोग को सफलतम आई आई टी की स्वायत्ता +गुणवत्ता पर अटैक बताया जा रहा है।
मूंछ की इस लड़ाई में आई आई टी कानपुर और मानव संसाधन विकास मंत्रालय आमने सामने आ गए हैं।जहां एक तरफ कानपुर ने केंद्र की इस ताना शाही को चेतावनी देकर अपनी व्यवस्था नहीं बदलने की बात कही है वहीं की हटधर्मी से कानपुर का बजट +शोध अनुदान पर खतरा मंडराने लगा है।
इससे बुरा औबर क्या हो सकता है की देश की राजधानी दिल्ली और वाणिज्यक राजधानी मुम्बई ने भी केंद्र के खिलाफ बगावटी सुर बोलने शुरू कर दिए है जब गुवाहाटी + खड़क'पुर ने सिबल की क़ाबलियत का समर्थन कर दिया है \इससे पूर्व मंत्री ने स्वयम कहा था की यदि एक भी कालेज इस व्यवस्था का विरोध करेगा तो इसे वापिस ले लिया जाएगा लेकिन वर्तमान आरोप प्रत्यारोप देख कर यह असंभव ही लग रहा है
गौरतलब है की इंजीनियरिंग की 'पढाई के लिए देश के आई आई टी संस्थानों का देश और विकसित देशों में अपना विशेष महत्त्व है इनके अपने अपने प्रवेश नियम हैं सिलेबस है शायद इसीलिए यहाँ के स्नातकों की मार्केट वेल्यू भी है शेष कालेजों को इस स्तर 'पर लाने के बजाये पिछले कुछ समय से इन्हें शेष इंजीनियरिंग बोर्ड आई आई आई टी+एन आई टी++ के स्तर पर लाने का प्रयास किया जा रहा है शायद इसलिए इसका प्रखर विरोध भी हो रहा है ।
मिस्टर एच आर डी सिब्बल की क़ाबलियत पर कानपूर में कुएश्चन मार्क??लग गया है|आई आई टी कानपूर की एकेडमिक सीनेट ने सीना ठोक कर संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए मंत्रालय के निर्णय को कूड़े दान में डाल दिया है और दूसरे आई आईटी को साथ आने को निमंत्रण भी दे दिया है| कपिल सिब्बल के ड्रीम प्रोजेक्ट शिक्षा के अधिकार पर हो रही छिछालेदारी अभी कम नहीं हुई की ये नया बखेड़ा खडा हो गया लगता है की काबिल वकील सिब्बल की पीठ पर बैठे विवादों के बेताल हटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं|
कपिल सिब्बल पूरे देश में इंजीनियरिंग की एक सामान परीक्षा कराना चाहते हैं इसके लिए xii कक्षा के मार्क्स भी जोड़े जाने हैं|चूँकि यह परीक्षा सी बी एस ई के माध्यम से होनी है सो आई आई टी को यह मंजूर नहीं है वैसे तो देश में ४४ स्टेट बोर्ड है यहाँ पेपर भी आउट होते रहते हैं।सबकी अपनी मूल्यांकन+ चयन प्रक्रिया है ऐसे ही आई आई टी की भी अपनी प्रक्रिया है इसीलिए आई आई टी देश में अग्रणी है | कुछ सालों से आई आई टी पर सरकारी पकड़ मजबूत करने को कवायद चल रही है| संभवत इसीलिए जे ई ई में बदलाव लाया गया है | हाई स्कूल तक की परीक्षा में कम्पटीशन का तनाव ना हो इसके लिए इसका सरलीकरण किया गया मगर आश्चर्यजनक रूप से इंजीनियरिंग की परीक्षा में प्रतिस्पर्धा को कडा करके तनाव पैदा करना समझ से परे हैं
इसके अलावा इस वर्ष एक ही शहर में 38000 xii 'पास अगली 'पढाई के लिए दर दर भताकने को मजबूर है इसीलिए नई विवाद 'पैदा करने के बजाए जो है 'पहले वह सजो लिया जाये
सिब्बल ने बाबा रामदेव और अन्ना हजारे सरीखे बेस्ट सेलर फायर ब्रांड्स के विरुद्ध बोल कर उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी की फजीहत कराई।शिक्षा के मौलिक अधिकार में अपनी उंगलियाँ जलाई यह अभी अक्षरः लागू तो हुआ नहीं उलटे विरोध का सामना करना पड़ रहा है।अब इंजीनियरिंग की परीक्षा के लिए देश भर में एक ही 'परीक्षा कराने का निर्णय लेकर निशाने 'पर आ गए है ।इस सिंगल एंट्रेंस प्रयोग को सफलतम आई आई टी की स्वायत्ता +गुणवत्ता पर अटैक बताया जा रहा है।
मूंछ की इस लड़ाई में आई आई टी कानपुर और मानव संसाधन विकास मंत्रालय आमने सामने आ गए हैं।जहां एक तरफ कानपुर ने केंद्र की इस ताना शाही को चेतावनी देकर अपनी व्यवस्था नहीं बदलने की बात कही है वहीं की हटधर्मी से कानपुर का बजट +शोध अनुदान पर खतरा मंडराने लगा है।
इससे बुरा औबर क्या हो सकता है की देश की राजधानी दिल्ली और वाणिज्यक राजधानी मुम्बई ने भी केंद्र के खिलाफ बगावटी सुर बोलने शुरू कर दिए है जब गुवाहाटी + खड़क'पुर ने सिबल की क़ाबलियत का समर्थन कर दिया है \इससे पूर्व मंत्री ने स्वयम कहा था की यदि एक भी कालेज इस व्यवस्था का विरोध करेगा तो इसे वापिस ले लिया जाएगा लेकिन वर्तमान आरोप प्रत्यारोप देख कर यह असंभव ही लग रहा है
गौरतलब है की इंजीनियरिंग की 'पढाई के लिए देश के आई आई टी संस्थानों का देश और विकसित देशों में अपना विशेष महत्त्व है इनके अपने अपने प्रवेश नियम हैं सिलेबस है शायद इसीलिए यहाँ के स्नातकों की मार्केट वेल्यू भी है शेष कालेजों को इस स्तर 'पर लाने के बजाये पिछले कुछ समय से इन्हें शेष इंजीनियरिंग बोर्ड आई आई आई टी+एन आई टी++ के स्तर पर लाने का प्रयास किया जा रहा है शायद इसलिए इसका प्रखर विरोध भी हो रहा है ।
मिस्टर एच आर डी सिब्बल की क़ाबलियत पर कानपूर में कुएश्चन मार्क??लग गया है|आई आई टी कानपूर की एकेडमिक सीनेट ने सीना ठोक कर संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए मंत्रालय के निर्णय को कूड़े दान में डाल दिया है और दूसरे आई आईटी को साथ आने को निमंत्रण भी दे दिया है| कपिल सिब्बल के ड्रीम प्रोजेक्ट शिक्षा के अधिकार पर हो रही छिछालेदारी अभी कम नहीं हुई की ये नया बखेड़ा खडा हो गया लगता है की काबिल वकील सिब्बल की पीठ पर बैठे विवादों के बेताल हटने का नाम ही नहीं ले रहे हैं|
कपिल सिब्बल पूरे देश में इंजीनियरिंग की एक सामान परीक्षा कराना चाहते हैं इसके लिए xii कक्षा के मार्क्स भी जोड़े जाने हैं|चूँकि यह परीक्षा सी बी एस ई के माध्यम से होनी है सो आई आई टी को यह मंजूर नहीं है वैसे तो देश में ४४ स्टेट बोर्ड है यहाँ पेपर भी आउट होते रहते हैं।सबकी अपनी मूल्यांकन+ चयन प्रक्रिया है ऐसे ही आई आई टी की भी अपनी प्रक्रिया है इसीलिए आई आई टी देश में अग्रणी है | कुछ सालों से आई आई टी पर सरकारी पकड़ मजबूत करने को कवायद चल रही है| संभवत इसीलिए जे ई ई में बदलाव लाया गया है | हाई स्कूल तक की परीक्षा में कम्पटीशन का तनाव ना हो इसके लिए इसका सरलीकरण किया गया मगर आश्चर्यजनक रूप से इंजीनियरिंग की परीक्षा में प्रतिस्पर्धा को कडा करके तनाव पैदा करना समझ से परे हैं
इसके अलावा इस वर्ष एक ही शहर में 38000 xii 'पास अगली 'पढाई के लिए दर दर भताकने को मजबूर है इसीलिए नई विवाद 'पैदा करने के बजाए जो है 'पहले वह सजो लिया जाये