जय माता दी
या देवि सर्वभूतेषू लक्ष्मी रूपेण संथिता नमस्त्ये नमस्त्ये नमस्त्ये नमो नमः शैलपुत्रीब्रम्चारिणी चंद्रघंटा कुष्मांडा स्कंदमाता कात्यानी कालरात्रि महागौरी नवदुर्गा[ सिद्धिदात्री ]की पूजा करके अणिमा महिमा गरिमा लघिमा प्राप्ति प्राकाम्य ईशित्व वशित्व नामक सिद्दिओं की कामना की गयी और आज वासंतिक नवरात्रों के व्...रतों का परायण करते हुए कन्याओं को भोजन मंदिरों में हवन भंडारा कराया गया
जय माता दी