अंकलो अक्कल रखना मेरे हक़ के लिए मतदान के अपने कर्तव्य को पूरा जरूर करना |
वोट के महत्त्व के प्रति जागरूकता के लिए वोटर दिवस के रूप में २५=०१=२०१२ को एक नया रास्ट्रीय पर्व मनाने का आह्वाहन किया गया है |यह महत्वपूर्ण है रास्त्र और स्वयम दोनों के लिए|यूं तो आज़ादी के बाद रास्ट्रीय पर्व मनाने के उत्साह में श्नेह श्नेह कमी आ रही है और अधिकांशतय पर्व केवल सरकारी ही बनते जा रहे हैं |मगर फिर भी लोगों को रास्ट्रीय पर्व का महत्त्व जानना बेहद जरूरी है | उत्साह से इन्हें मनाना जरूरी है |यह रास्त्र और स्वयम दोनों के लिए बेहद जरूरी है|
अब में अपनी पर आता हूँ।मेरठ +यूं.पी में बसे अपनी मेहनत से पुराषार्थी बने पंजाबियों की एक बड़ी आबादी अभी भी भाजपा के मोह पाश में बंधी है दशकों पूर्व जब जनसंघ यहाँ से हारती थी तब पंजाबियों को आगे रखा जाता था अब जब भाजपा बन कर इस पार्टी ने जीत सत्ता का स्वाद चख लिया है तब चुनावों में पंजाबियों को लोली पोप ही दिखा कर अंतिम पंक्ति में डाला जाता रहा है ।अब मेरठ में तीन सीटें बना दी गई हैं सो पंजाबियों को अपना हक़ मिलता हुआ दिखाई दिया मगर सोशल इंजीनियरिंग का हवाला देते हुए फिर से अंतिम पंक्ति पर धकेल दिया गया ।
मेरे विचार से ऐसा इसलिए होता रहा है और हो रहा है की पंजाबियों ने सर्वसम्मति से अपना कोई नेता नहीं चुना और ना ही कभी अपनी वोट की शक्ति का ही प्रदर्शन किया मतदान के दिन एयर कंडीशन हवा न छोड़ना और छुट्टी के दिन हरिद्वार या मसूरी की सैर को ज्यादा तरजीह दी जाती रही है।दक्षिण की सीट के लिए अभी तक कोई जिताऊ उम्मीदवार सामने नहें लाया गया है यहाँ तक की छावनी की सीट के लिए अपनी दावेदारी को छोड़ कर दक्षिण के लिए मारामारी करने को खड़े हुए ६ उम्मेदवार या पंजाबियों के खुदाई खिदमतगार अब असंतुष्ट गुट में शामिल होकर अ'पाने वजूद के लिए मौर्चा खोले हैं
यहांतक की इस असंतुष्ट गुट में शामिल अन्य जातियों के नेता को भी समर्थन देने को तय्यार हो गए हैं ।जाहिर है ऐसे में पंजाबियों की १९४७ से चली आ रही अनेकों समस्याए ठन्डे बस्ते से बाहर नहीं लिकल पाएंगी ।
कहने को तो मेरठ से ही सपा ने एक वकील और बसपा ने पुराने चुनाव में नंबर दो पर आये पर दावं लगाया है इसके के साथ साथ कांग्रेस ने भी अपने पुराने खिलाड़ी और पंजाबी संघठन के रान्त्रिय अध्यक्ष पर ही भरोसा जताया है।एक सीट पर तीन पंजाबी उम्मीदवार इनके बीच से चौथे के लिए निकलना बेहद आसान हो जाता है यह इस लिए भी संभव हो जाता है के कांग्रेस के एक धड़े ने जिसने पिछाले चुनावों में भीतर घात की थी अब की बार खुल कर असंतोष जाहिर कर रहे हैं।ऐसी इस्थिति में पंजाबी उम्मीदवारी का ख़्वाब कया हकीकत बन पायेगा ?इस यक्ष प्रश्न का उत्तर तो यही हो सकता है की अबकी बार वोट डालना जरूरी है + लाईन में लग कर वोट डालना जरूरी है +गर्मी हो या सर्दी वोट डालना जरूरी है+नेता अपना हो या बेगाना वोट डालना जरूरी है ।बैलेट\ ई वी एम् पर सोच समझ कर सही उम्मेदवार को दबाना जरूरी है। जमोस सबलोक
मेरे विचार से ऐसा इसलिए होता रहा है और हो रहा है की पंजाबियों ने सर्वसम्मति से अपना कोई नेता नहीं चुना और ना ही कभी अपनी वोट की शक्ति का ही प्रदर्शन किया मतदान के दिन एयर कंडीशन हवा न छोड़ना और छुट्टी के दिन हरिद्वार या मसूरी की सैर को ज्यादा तरजीह दी जाती रही है।दक्षिण की सीट के लिए अभी तक कोई जिताऊ उम्मीदवार सामने नहें लाया गया है यहाँ तक की छावनी की सीट के लिए अपनी दावेदारी को छोड़ कर दक्षिण के लिए मारामारी करने को खड़े हुए ६ उम्मेदवार या पंजाबियों के खुदाई खिदमतगार अब असंतुष्ट गुट में शामिल होकर अ'पाने वजूद के लिए मौर्चा खोले हैं
यहांतक की इस असंतुष्ट गुट में शामिल अन्य जातियों के नेता को भी समर्थन देने को तय्यार हो गए हैं ।जाहिर है ऐसे में पंजाबियों की १९४७ से चली आ रही अनेकों समस्याए ठन्डे बस्ते से बाहर नहीं लिकल पाएंगी ।
कहने को तो मेरठ से ही सपा ने एक वकील और बसपा ने पुराने चुनाव में नंबर दो पर आये पर दावं लगाया है इसके के साथ साथ कांग्रेस ने भी अपने पुराने खिलाड़ी और पंजाबी संघठन के रान्त्रिय अध्यक्ष पर ही भरोसा जताया है।एक सीट पर तीन पंजाबी उम्मीदवार इनके बीच से चौथे के लिए निकलना बेहद आसान हो जाता है यह इस लिए भी संभव हो जाता है के कांग्रेस के एक धड़े ने जिसने पिछाले चुनावों में भीतर घात की थी अब की बार खुल कर असंतोष जाहिर कर रहे हैं।ऐसी इस्थिति में पंजाबी उम्मीदवारी का ख़्वाब कया हकीकत बन पायेगा ?इस यक्ष प्रश्न का उत्तर तो यही हो सकता है की अबकी बार वोट डालना जरूरी है + लाईन में लग कर वोट डालना जरूरी है +गर्मी हो या सर्दी वोट डालना जरूरी है+नेता अपना हो या बेगाना वोट डालना जरूरी है ।बैलेट\ ई वी एम् पर सोच समझ कर सही उम्मेदवार को दबाना जरूरी है। जमोस सबलोक