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Sunday, June 03, 2012

योग गुरु बाबा रामदेव आज दिल्ली में एक दिन के सांकेतिक अनशन और उनका साथ देने के लिए अन्ना हजारे भी एक दिवसीय धरने पर बैठे

योग गुरु बाबा रामदेव आज दिल्ली में एक दिन के सांकेतिक अनशन  और उनका साथ देने के लिए अन्ना हजारे भी एक दिवसीय धरने पर बैठे इस अवसर पर जहां टीम अन्ना एक अनुशासित  जबकि बाबा स्वयम भी अपने सहयोगिओं  के साथ उत्साह में भरे हुए थे | यद्यपि बाबा ने अपने भाषण में कई  बार  अन्ना हजारे को पूरा सम्मान  दिया मगर  फिर भी  कभी कभी अन्ना हजारे के  चेहरे के भाव बदलते भी रहे|
 अब यह बेरी और कैले की  दोस्ती कब तक चल पायेगी समय ही बताएगा |
     सबसे पहले राजघाट पर बाबा रामदेव  अपने ढेरों समर्थकों के साथ  पहुंचे और मौन पर बैठ गए थोड़ी देर के बाद   अन्ना हजारे अपनी टीम के साथ पहुंचे  और उन्हें बाबा के पीछे बैठने का इशारा किया गया इसपर अन्ना ने अग्रिम पंक्ति में बाबा के बाईं और बैठना पसंद किया |बाबा राम देव ने मौन की ओउप्चारिकता पूरी की  और खड़े हो गए उनके समर्थक  भी साथ ही उठ खड़े हुए तब तक अन्ना मौन में ही थे कुछ क्षण इंतज़ार करने के बाद अन्ना को   भी उठा दिया गया| मालूम हो  की पूर्व में अन्ना  अपने समय के अनुसार ही मौन पर बैठे रहे थे और उनके किसी भी सदस्य ने उन्हें उठाने की कौशिश तक नहीं की थी|   
     दोनों ने  महात्मा  मोहन दास करम  चंद  गांधी  की समाधि पर माथा  टेका और पुष्पांजलि अर्पित की |सबसे पहले अन्ना ने माथा टेका और पुष्पांजलि  अर्पित की तब बाबा के हाथ खाली थे  इस पर असहज  होते हुए बाबा ने अपने  सहयोगी बाल कृषण से फूल मांग कर  चड़ाए |इसके पश्चात दोनों ने एक साथ पुष्पचक्र चड़ाए|
   शहीद समारक में  अपने कद से बड़ी शहीदों की मुर्तिओं  पर  फूओं की माला चडाने के लिए बाबा  उछालते रहे लेकिन अपने साथ खडी किरण बेदी को  माल्यार्पण के लिए आमंत्रित करने से नहीं चूके किरण बेदी ने शालीनता का परिचय देते हुए मूर्ति के  हाथों में ही  माला चड़ा दी |अन्ना ने अपने भाषण के अंत में  विशाल भीड़ को सम्भोदित करते हुए कहा की अब बेटरी चार्ज हो गई है तब उनके बाद आये मंच संचालक महोदय कह बैठे की बेटरी तो पहले से ही चार्ज है|इसके अलावा सबसे बड़ा विवाद तो तब हुआ जब अरविन्द केजरीवाल ने अपने भाषण में भ्रष्ट नेताओं के नाम लिए तब बाबा ने उनका विरोध करते हुए किसी का नाम नहीं लेने को कहा और अरविन्द मंच छोड़ कर चले गए ab 
     मंच पर  दोनों दिग्गज एक साथ   बैठे थे  |दोनों के सहयोगी  समय समय पर  उनसे सलाह मशविरा या सूचना देते  रहे मगर जहां अन्ना हजारे की टीम के सदस्य अनुशाषित होकर उनके पीछे से आकर  बात कर रहे थे वहीं बाबा के समर्थक सामने से आकर बात कर रहे थे यहाँ तक की मंचीय माहिर ओज के   सशक्त हस्ताक्षर  हरी ॐ पवार भी सामने से आकर बाबा से गुफ्तगू करते रहे उनके सामने से आने  से अन्ना की छवि टीवी कमरों से छुपजाती थी |
  जन लोकपाल और काले धन की वापसी के लिए जंग अनिश्चित काल तक के लिए लड़ी जानी है ऐसे में  कैले और बेरी का साथ कब तक निभेगा क्योंकि बैर तो अपनी मौज में हवा के रुख पर नाच कर रहा है मगर उसके  काँटों से कैले की  फली कटते जा रहे है

Wednesday, May 30, 2012

विश्वनाथन  आनंद की जीत अपने आप में उम्मीद की जबरदस्त रौशनी है का का 

शतरंज़ के मोहरों के माहिर विश्वनाथन आनंद आज ५वी बार शतरंज़ के विश्व विजेता बनगए\सो बधाई |
आई पी एल की चकाचौंध और भ्रष्टाचार की फ़ैली धुंध में यह जीत अपने आप में उम्मीद की जबरदस्त रौशनी है |
बेशक  क्रिकेट के सचिन या फिर किसी [रिटायर्ड] फ़िल्मी हस्ती की चमक के सामने यह सफलता कम करके आंकी जा सकती है मगर जनता   द्वारा  जो प्यार शतरंज़ के इस खिलाड़ी को दिया जा रहा है यह आनंद को कम से कम भारत रत्न के लिए सुपात्रों की लिस्ट में शामिल जरूर क़र सकती       

Friday, May 25, 2012

कौन सा नया भाजपाई स्यापा जान को आन पडा है

एक  भाजपाई  
               ओये झल्लेया  ये क्या हो  रहा है ओये हमारे सबसे   सीनियर श्री  लाल कृषण  आडवानी  जी और दिल्ली की  प्रखर   नेत्री   श्रीमति  सुषमा स्वराज कल  मुम्बई की रेली   अटैंड  किये  बगैर ही आ गए ओये ये कौन सा नया स्यापा पार्टी की जान को आन पडा है ।ओये अब पेट्रोल की कीमतों  में बेतहाशा बडोत्तरी से सरकार के  गिरने  की  और हमारी  सरकार बनने   की उम्मीद जगी थी  लेकिन  ये  घरेड  तो कहीं का नहीं छोड़ेगी ।
झल्ला  
              भापा जी एक बात बताओ   की नाराज़   होने का ठेका केवल   छेत्रिय  नेताओं  की ही   बपौती है
  'पर्दे  के पीछे से कथ्पुतलिओ  का  खेल  खैलने  वाले ये भूल जाते हैं की जनता और सहयोगी दलों के प्रति जवाब देही  पर्दे  पर छाए  नेताओं की ही होती है अब इनकी मर्जी  के बगैर पीछे से   कोई   राष्ट्रीय    निर्णय    लिया जाता है  तो  पर्दे  पर चल रही पिक्चर पर असर तो पड़ता ही है\
वैसे घबराने की जरूरत नहीं है  देखा नहीं ना  ना करते करते  नरेन्द्र मोदी   आ  गए लड़ते  झगड़ते येदियुरप्पा भी पहुँच ही गए   ।इनकी  भी थोड़ी  देर  की कुट्टी  के बाद  अप्पी  हो ही जायेगी 
एक  कांग्रेसी 
   ओये झल्लैय्या देखा    हँसा  दे पेट्रोलियम  मंत्री  श्री जय पाल रेड्डी  जी का कमाल ।उन्होंने तो पार्टी की   बल्ले  बल्ले करा दी ।विपक्ष  के साथ उनके  हम दर्द  मीडिया  की भी बोलती बंद करदी।  ओये विकलांग  होते हुए भी विदेश से लौटते ही उन्होंने तत्काल    प्रेस कांफ्रेंस  करली   और  साफ़  सपाट शब्दों में पेट्रोल की कीमतों में किसी भी प्रकार की कटौती से इनकार  कर   दिया ।  हुन तो   विपक्ष  की एक नहीं    चलने  वाली।पेट्रोलियम कम्पनिओं का घाटा पूरा हो ही   जाएगा । 
झल्ला 
       ओ   भोले  बादशाओ  बेशक    आपजीके  रेड्डी साहब पेट्रोल की कीमतों    को कम करने को  रेडी  नहीं हुए हैं मगर उन्होंने शातिर राजनितिक पैतरे बाज़ी  जरूर  चल डाली  है।रेड्डी साहब ने कुटिल मुस्कराहट  के साथ कुछ दिनों की मोहलत मांग ली है  अब इन कुछ    दिनों   में रुपया ऊपर उठ  सकता   है   कच्चा पेट्रोल  सस्ता हो सकता है   कुछ भी  नहीं हुआ तो विपक्ष  और नाराज़ जनता  की ताकत का    अंदाजा  तो हो ही जाएगा ।तब उसी रेशो में रोल बैक भी  हो जाएगा ।      क्यों  ठीक है ना ठीक      

Saturday, May 19, 2012

नागरिक उड्डयन मंत्री चौधरी अजित सिंह ने खजाने को प्रदेश के लिए खोला

     केन्द्रीय नागरिक  उड्डयन मंत्री  चौधरी अजित   सिंह ने  अब की बार  मंत्रालय  के खजाने  का  पिटारा अपने गृह प्रदेश के लिए खोल  दिया  है \ प्रदेश की राजधानी में बीते दिन नए  टर्मिनल का उदघाटन करते हुए   सिंह  ने   अनेक  यौजनाओं  को हवा दी ।इस पर प्रदेश मुख्यमंत्री  अखिलेश यादव ने भी सभी प्रकार की      सहायता +सहयोग का  आश्वाशन भी दिया\
 सहयोग+सहायता   के  आश्वासन पाकर  गद गद मंत्री  ने     12 दिनों से  पायलटो की हड़ताल  के  किसी  तनाव के बगैर अनेक यौजनाओं की घोषणा की ।प्रदेश में 
[1]नागरिक उड्डयन   विश्व   विद्यालय 
[2] जहाज़ों के लिए वर्कशाप[ अड्डा ]   
[3] छोटे एयर पोर्ट्स को राजधानी से जोड़ना 
 [4]छोटे पोर्ट्स को   अप ग्रेड  करना 
    इस घोषनाओं  से  गोरखपुर +कानपुर +इलाहाबाद+कुशीनगर आदि की किस्मत का पिटारा खुलने ही वाला है 
[1]संसद में उड्डयन  विकास का आश्वासन देते  अजित   सिंह टी वी फोटो 
क्योंकि युवा मुख्यमंत्री अखिलेश  यादव  ने  केन्द्रीय यौजनाओं   के लिए  उचित मुआवजे  पर जमीन उपलब्ध कराने का भी आश्वासन दे दिया ।बेशक इन    विकास कार्यों  के लिए  पब्लिक प्रायवेट पार्टनर  शिप का  फार्मूला लागू होगा \यह सब   सुनने  में अच्छा लगता है मगर मेरठ के उपेक्षित हवाई पट्टी के बारे में भी कोई   निर्णय  या घोषणा हो जाती तो जयादा अच्छा लगता [जमोस  सबलोक]


आमिर का कैमरा अभी तक वानखेड़े स्टेडियम के अन्दर नहीं जा पाया है

फिल्म सेलेब्रेटी आमिर खान आज कल टी वी पर हर रविवार को आते हैं और
 बच्चों विशेषकर कन्याओं से जुड़े मुद्दे उठा कर ना केवल वाह वाही से तिजोरी
 भर रहे है वरन मुद्दों को सोल्व कराने को भी पसीना बहा रहे है |
पिछले दिनों उनके बिरादर सेलेब्रेटी शाहरुख़ खान के नन्हे मुन्नों पर वानखेड़े स्टेडियम
 में अत्याचार हुआ | बेशक  शाहरुख़  खान  ने कुदरती कानून का उल्लंघन  किया 
कुदरती क़ानून के मुताबिक़  जबान  और दिल  में हड्डी नहीं होती सो इन्हें लचीला बनाया 
गया है मगर  शाहरुख़ ने इनदोनो में ही  अकड़ पैदा करके मुसीबत मौल ले ली
   सुना  था की चेरिटी बिगिन्स एट होम्स मगर आमिर का कैमरा अभी तक 
वानखेड़े स्टेडियम के अन्दर नहीं जा पाया है अगर किसी मित्र को इसका कारण
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Monday, May 07, 2012

प्रणव दा हमें आपसे और कुछ नहीं चाहिए हमें केवल जूट की बोरियां दे दीजिये


प्रणव  दा हमें आपसे और कुछ नहीं  चाहिए हमें केवल जूट  की बोरियां दे दीजिये बोरियां नहीं है इसीलिए किसान की मेहनत का बहुमूल्य  फल अनाज बेकार होने जा रहा है ये गुहार आज संसद में भाजपा की वरिष्ठ नेत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने लगाई |अपने  सहयोगी दल जे दी यूं के शरद यादव   द्वारा गेहूं की बदहाली और सरकार द्वारा इसकी खरीद में तालाम्टोली पर चिंता व्यक्त कर रहे थे इस पर सुषमा ने मोर्चा संभालते हुए मध्य प्रदेश में बोरियों  की आपूर्ति नहीं किये जाने से अनाज की दुर्दशा का चित्रं किया और हाथ जोड़ कर बोरियां माँगी |इस पर   विपक्ष एक जुट हो गया  और लालू प्रसाद  यादव के साथी रघुवंश प्रसाद ने चुटकी लेते हुए बताया की  बिहार में एक बोरे में ४.५ करोड़  रुपयों का काला धन मिला है |गेहूं के लिए बोरी नहीं है मगर काला धन रहने के लिए बोरे उपलब्ध हैं ||इसके पश्चात जे दी यूं के सदस्य स्पीकर के सामने वेल में भी जाने लगे 
संसद में बताया गया की केंद्र सरकार ने  बीते सप्ताह बोरे उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था मगर आज ७ तारीख को भी स्थिति जडवत ही है |अर्थार्त बोरियां ना होने के कारण गेहूं की  खरीद और भंडारण नहीं हो पा रहा है|
गोरतलब हे की पहले  पोलिथीन के बोरे भंडारण के लिए उपयोग में लाये जाते थे मगर अब पोलिथीन पर रोक है सो जूट के बोरे चाहियें और  इतनी बड़ी संख्या में जूट के बोरे उपलब्ध नहीं हो रहे है |यानि दोनों तरफ से सरकार घिरी है |अगर बोरे दे दिए जाते हैं तो घाटे में जा रहे सरकार को विवश हो कर गेहूं को न केवल खरीदना पडेगा वरन भंडारण की व्यवस्था भी करनी पड़ेगी|और अगर बोरे नहीं दिए जाते तो विपक्ष इस मुद्दे को २०१४ तक जीवित जरूर रखेगा और चुनावों में भुनाएगा भी