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Sunday, May 06, 2012

इतने सारे सियासी गम जान को लगे हों तो विपक्ष के धर्म किसे याद आते है

 इतने  सारे सियासी  गम जान को लगे हों तो विपक्ष के धर्म किसे याद आते है   भाजपा बेचारी  किवें  जीवे मुड़ मुड़ ठंडा पानी पीवे |जी हाँ आज कल बेचारी भाजपा पर यह जुमला फिट बैठ रहा है|
जब से सत्ता सुख छिना गया तभी से मुसीबतें है की एक के बाद एक चली ही आ रही हैं इन्ही में उलझ कर भाजपा अपने विपक्ष के धर्म को ही भूल गई है |ठीक भी है पहले अपने घर की आग को बुझाओ दूसरों का नंबर तो बाद में ही आता है|
एस एस अहलुवालिया की राज्य सभा के लिए  झारखंड में हार से अभी आरोप   प्रत्यारोपों से पार्टी उबरी भी नहीं थी की राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने  विद्रोह का बिगुल बजा दिया है  सूना है की अब तक ५१ विधायक  अपने समर्थन के रूप में पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं|यह विद्रोह भी पार्टी अध्यक्ष  नितिन गडकरी के आदेशों के ही खिलाफ है अहलुवालिया की हार का ठीकरा भी  पार्टी अध्यक्ष  की  राजनितिक  अदूर दर्शिता के सर ही फौड़ा जा रहा है|
   बिहारी बाबू नितीश कुमार अभी तक गुजरात के नरेंदर मोदी को खुल के समर्थन नहीं दे पाए हैं\इसीलिए मोदी के लिए दिल्ली  की राह  आसान  नहीं   हुई  है|मध्य प्रदेश से आयातित साध्वी उमा भारती ने विवादों में घिरे  निर्मल बाबा को समर्थन दे कर  मीडिया के छत्ते में हाथ दे दिया है |दिल्ली की राजनीति के माहिर अरुण जेटली पर  बोफोर्स में अमिताभ बच्चन का नाम घसीटने  कालिख पोती जा रही है|कीर्ति आज़ाद सचिन तेंदुलकर में ही उलझे हुए हैं\यशवंत सिन्हा यदा कदा पार्लियामेंट में मुद्दा उठाते हैं तो वह नक्कार खाने में तूती ही लगती है \ श्रीमती सुषमा स्वराज आज कल बेक फुट पर हैं| पार्टी का मुस्लिम चेहरा मुख्तार अबास नकवी और शाहनवाज़ खान बेचारे टी वी चेनलों पर बेबस नज़र  आ  रहे है |
    यहाँ यह कहना भी लाज़मी है की जब भी भाजपा कमजोर दिखती है या विवादों में घिरती है तभी सी बी आई अपने पुराणी फायलों से धुल साफ़ करके एक नया बखेड़ा खडा कर देती है तभी तो वर्तमान में भाजपा की शोचनीय स्थिति के मध्य नज़र  पार्टी के व्योवर्ध  भारी भरकम नेता लाल क्रिशन आडवानी  को  बाबरी मस्जिद काण्ड में षड्यंत्रकारी  बता कर जांच के घेरे में लिए जाने की बात करने लगी है |अब  जब इतने  सारे सियासी  गम जान को लगे हों तो विपक्ष के धर्म किसे याद आते है  

Monday, April 16, 2012

छौटे मौटे अपराध एक प्रिलिमनरी टेस्ट की भाँती होतें हैं

मेरठ को शिक्षा+स्पोर्ट्स गुड्स +मेडिकल+ मीडिया+लघु उद्योगों का केंद्र[हब]कहा जाता है लेकिन आज  कल यहाँ अपराधों की बाड़ सी ही आई हुई  है। सरे आम कत्ल +सामूहिक बलात्कार+चेन स्नेचिंग+ लूट+चोरी  और डकैती आदि के समाचारों से अखबार भरे रहते हैंशायद इसी लिए छीना झपटी के छौटे मौटे अपराध आज कल के अपराधिक नक्कारखाने में महत्वहीन  तूती बन कर ही रह जाते हैं।मेरा मानना है की अपराध तो अपराध ही होता है छौटा हो या बड़ा यह समाज और सरकार अर्थार्त व्यवस्था को चुनौती होता है इसीलिए तूती की आवाज़ को भी महत्त्व दे कर अपराध निरोधात्मक कार्यवाही प्राम्भ कर दी जानी चाहिए।
     मेरा मानना है की इस प्रकार के छौटे मौटे अपराध एक प्रिलिमनरी  टेस्ट की भाँती होतें हैं जिन्हें सफलता पूर्वक पास करके बड़े अपराध करने के लिए अपराध स्कूल जाने लायक हौंसला मिल जाता है और स्कूल से कालेज में एडमिशन आसानी से मिल जाता है
     इसी प्रकार की तूती रूपी  लूट की एक घटना का गवाह में भी बन गया ।सब कुछ इतनी जल्दी हुआ की जब तक समझ आता बाईक सवार जा चुका था ।
आज सुबह ६ बजे के करीब गंगानगर के दिवायदर रोड पर अचानक एक लड़की[संभवत छात्रा] काली बाईक के पीछे बदहवास  चिल्लाती हुई भागी जा रही थी पकड़ो 'पकड़ो इसने मेरा फोन छीन लिया है । बाईक सवार भी बामुश्किल २३ -२४ साल का स्लिम । क्लीन शेव्ड था मगर चौंकाने वाली बात यह थी की यह लुटेरा बिना हेलमेट के था यानि बेफिक्र था बेखौफ था। जब तक मामला समझ आता तब तक तो बाईक जा चुकी थी।पूरी लगभग २.५ किलो मीटर की सड़क पर खाकी वरदी धारी तो दूर प्रायवेट सुरक्षा कर्मी भी नहीं दिखेमोर्निंग वाक् करने वाले  केवल चर्चा ही करते रह गए। 

Thursday, April 12, 2012

घातक मेडिकल वेस्ट खाकर क्या हालत होगे ???


गोवंश की रक्षा के लिए अनेकों एन.जी.ओ. कार्यरत हैं|आये दिन कोई ना कोई  नारे लगाता नया एन,जी,ओ प्रकट हो जाता है |इस चित्र को देख कर ऐसा लगता है की  इस दिशा में जमीन पर कार्य  नहीं के बराबर हो रहा है|
यह गौवंश खुले में फैंके गए घातक मेडिकल वेस्ट खाने को मजबूर है | मेडिकल वेस्ट खुले में फैकने की पाबंदी है मगर  यह चित्र कुछ और ही मनमर्जी की तरफ इशारा करता है|ऐसे घातक मेडिकल वेस्ट खाकर क्या हालत होगे यह भी समझा जा सकता है

Wednesday, April 11, 2012

पेट्रोल+डीजल के संकट मोचक ये अनुशासित गदर्भ राज


[१]पेट्रोल+डीजल के संकट मोचक गदर्भ राज 




[२]पेट्रोल+डीजल के संकट मोचक  अनुशासित ये गदर्भ राज 
मेरठ वालो को
अगर मौका मिले तो चाँद की मिटटी भी खोद कर गदर्भराजों पर ही  लाद कर ले आयें 
मगर क्या करें हमारी सरकार वैश्वीकरण की मारी है सो विदेशी महंगी तकनीक की ही दीवानी हुई जा रही है|इस तकनीक  के लिए   दिनों दिन बड़ते पेट्रो आयल लुब्रिकेंट के दाम ऐसी की तैसी किये जारहे हैं।
चित्र में दिखाय गए गदर्भ गण गंगानगर के एक प्रबंध शिक्षा केंद्र में मिटटी ढोने जा रहे है
शायद यह भी प्रबंध शिक्षा  में  कोई
लेक्चर या  स्थानीय प्रेक्टिकल होगा |

Tuesday, April 10, 2012

हाय ओये हसाड़ी बैसाखी

बैसाखी दा की बनू 
[१]आंघी तूफ़ान के साईड इफेक्ट्स 


[२]आंघी तूफ़ान के साईड इफेक्ट्स 
आंधी तूफ़ान  के साथ बेमौसमी बरसात जब चलती है तो इनके कहर से मज़बूत और कमजोर सभी धाराशाई हो जाते हैं |  साईड इफेक्ट्स  या लेटर इफेक्ट्स  फोटो में दिखाई दे रहे हैं |इन्हें देख कर  खड़ी गेहूं की फसल और आम के बौरों की हालत भी  समझी जा सकती है|फसल खराब होने के बाद बाज़ार की हालत का अंदाजा  लगाया जा सकता है|किसान और बाज़ार जब बेज़ार होंगे तो  बेचारी सरकार पर पड़ने वाले दबाव की भविष्यवाणी भी की जा सकती है हाय ओये हसाड़ी बैसाखी 
बीते दिन अचानक मौसम ने करवट ली और सबकुछ तहस नहस कर दिया\  मेरठ में  
 लगभग ५.५० अचानक घर के दरवाजे और खिड़कियाँ बजने लगे |उठ कर देखा तो बाहर आंधी चल रही थी और बूंदाबांदी जारी थी| बाहर घुप अन्धेरा छाया था मानो रात का साया घिर आया हो|
इतने में पत्नी जी का फोन आया की माल रोड पर तेज़ बारिश और आंधी से अन्धेरा छा गया है |ऐसे में बिजली का जाना तो लाज़मी है सो समय  मानो ठहर गया हो।
 टी वी चैनल दिल्ली में यही हालात बयान कर रहे थे लगता है की दिल्ली से चल
 कर आंधी +झकड़++ बारिश मेरठ में भी आ गई लुधियाना +पटियाला आदि से फेस बुक फ्रेंड्स ने बताया की वहां भी यही हालत हैमेरठ के एक किसान परिवार से मित्र ने गेहूं की बर्बादी की आशंका जताई  
 
[1]अंधेरी चली बूंदे पडी शाम में ही हो गई रात 



[2]ये कुदरती कहर है 


[3] या मौसम की फटकार
अंधेरी चली बूंदे पडी शाम में ही हो गई रात 
ये कुदरती कहर है या मौसम की फटकार
आज अचनाक लगभग ५.५० अचानक घर के दरवाजे और खिड़कियाँ बजने लगे |उठ कर देखा तो बाहर आंधी चल रही थी और बूंदाबांदी जारी थी| बाहर घुप अन्धेरा छाया था मानो रात का साया घिर आया हो|
इतने में पत्नी जी का फोन आया की माल रोड पर तेज़ बारिश और आंधी से अन्धेरा छा गया है |ऐसे में बिजली का जाना तो लाज़मी है सो समय मनो ठहरा हुआ है |
अभी कुछ देर पहले ही टी वी चैनल दिल्ली में यही हालात बयान कर रहे थे लगता है की दिल्ली से चल कर आंधी +झकड़++ बारिश मेरठ में भी आ गई One Of My Facebook Friend  From Ludhiana Punjab]Keshav Batli Has Informed That The Same Changes Are There Also Bbut He Also Consoled That He His Feeling Pleasant Climate Now. 

Sunday, April 08, 2012

मेलों में हस्तकला और सफाई को महत्त्व दिया जाना चाहिए

मेलों में सफाई भी जरूरी है 

एयर गन से गुब्बारे फोड़ने  का अपना ही मज़ा है 

मानव उत्सव प्रिय अस्ति \
जी हाँ सदिओं से मानव उत्सव मनाने के लिए नए नए ढंग खोज कर अपनी यह चाहत पूरी करता आ रहा है ।मेरठ के जीम खाना मैदान में भी नव सम्वत्सर मेले का दो दिवसीय आयोजन किया गया ।यह मेला हिन्दू नव वर्ष से जुड़ा था सो में ०८=०४=२०१२ को इसके समापन समारोह देखने पहुँच गया ।
विश्व प्रसिद्ध नौचंदी मेले के चलते यह मेला लगाना अपने आप में एक कठिन चुनौती है फिर भी युवाओं ने सराहनीय ढंग से इसे पूर्ण कराया ।
अन्य अनेक आयोजनों के बीच एक हस्तकला का आयोजन का उल्लेख जरूरी है । उत्साही होनहार बच्चों विशेष कर छात्राओं ने कबाड से अनेको उपयोगी वस्तुएं बना कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया रुई से बल्ब और स्ट्रा[ड्रिंक के बाद फैंके जाने वाले प्लास्टिक के पाइप] से गुढियाके साथ ही टूटे डब्बे से पेन होल्डर सराहनीय थे।
    मेने पहले भी हस्तकला या क्राफ्ट को शिक्षा से जोड़ कर इसे रोज़गार परक बनाए जाने की आवाज़ उठाई है इस लिए में यह जरूर कहना चाहता हूँ की इस प्रकार की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए बनाये गए क्राफ्ट की नीलामी करवा कर बच्चों में बांटी जाने चाहिए।इससे शिक्षा को नया आयाम मिल सकेगा।प्रोजेक्ट के नाम पर चल रही लूट को क्राफ्ट के माध्यम से कमाई का जरिया बनाया जा सकता है।
    इस प्रकार के मेलों में मुझे सफाई को लेकर   एक बात बहुत अखरती है वोह है मेला प्रेमिओं द्वारा इधर उधर चाट के पत्ते+पोलिथीन+आदि फैंकना और मेले के बीच में ही स्कूटर या मोटर चला कर धुल उड़ाना ।कहने की आवश्यकता नहीं की खाने पीने के खुले  स्टाल पर धुल पड़ने से बिमारिओं  की  दावत हो सकती है।
    मेलों में हस्तकला और सफाई को महत्त्व दिया जाना चाहिए    जमोस सबलोक